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60 साल बाद मिला ये खोया शहर, बर्फ के अंदर 100 फीट नीचे था दफन

नासा के स्कैन से ग्रीनलैंड में बर्फ के नीचे दबा एक गुम शहर का पता चला है. जिस तरीके से इस शहर के बारे में पता लगाया गया, उस विधि से वैज्ञानिक अंटार्कटिका जैसे वातावरण में बर्फ की चादर की मोटाई मापते हैं.

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नासा के गल्फस्ट्रीम III जेट पर सवार वैज्ञानिकों ने अप्रैल 2024 में उत्तरी ग्रीनलैंड के ऊपर उड़ान भरते समय आधुनिक रडार उपकरण यूएवीएसएआर (UAVSAR) का उपयोग किया. इस तकनीक ने बर्फ की गहराई में छिपे स्ट्रक्चर को स्पष्ट रूप से मापने में मदद की. वैज्ञानिकों द्वारा ली गई एक रडार तस्वीर ने बर्फ के नीचे एक छुपे हुए शीत युद्ध-युग के शहर का पता लगाया है.

उत्तरी ग्रीनलैंड में बर्फ के अंदर मिला छिपा शहर
वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने उत्तरी ग्रीनलैंड के ऊपर उड़ान भरते समय रडार से तस्वीर ली थी. इस शहर का नाम कैंप सेंचुरी है. यह एक सैन्य अड्डा था. इसे 1959 में ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर की सतह के नीचे सुरंगों का जाल काटकर बनाया गया था.

1967 में छोड़ दिया गया था शहर
शोधकर्ताओं का कहना है कि 1967 में इस शहर को छोड़ दिया गया. इसके बाद से इसके ऊपर बर्फ जमा होती गई है. यह शहर सतह से कम से कम 30 मीटर (100 फीट) नीचे बर्फ के अंदर दब गया. नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) के एलेक्स गार्डनर ने कहा कि हम बर्फ की चादर की तलाश कर रहे थे और कैंप सेंचुरी बाहर आ गई. हमें पहले नहीं पता था कि यह क्या है.

बर्फ के नीचे 100 फीट की गहराई में छिपा था शहर
इस इलाके पिछले हवाई सर्वेक्षणों ने बर्फ की चादर की 2D तस्वीर तैयार की, जबकि अप्रैल में जब शोधकर्ताओं ने नासा के यूएवीएसएआर उपकरण का इस्तेमाल किया था, जो इसका 3डी मैप बनाने में सक्षम था. नए डेटा ने इस गुप्त शहर की संरचनाओं को इस तरह उजागर किया, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया था.

शहर के कई स्ट्रक्चर स्पष्ट रूप से आई नजर
नासा के वैज्ञानिक चाड ग्रीन ने कहा कि नए डेटा में इस गुप्त शहर के अलग-अलग स्ट्रक्चर इस तरह से दिखाई दिए, जैसा पहले कभी नहीं देखा गया. नवीनतम मानचित्र ने बेस के नियोजित लेआउट का खुलासा किया, जिसमें कई एक जैसे स्ट्रक्चर शामिल हैं. साथ ही इसमें कई तरह की फैसिलिटी सुरंगें स्पष्ट नजर आ रही है.

कैंप सेंचुरी के गहराई के अनुमानों की पुष्टि करने के लिए पारंपरिक रडार का उपयोग करके बनाए गए मैप का उपयोग किया गया. यह गणना यह निर्धारित करने में मदद करती है कि पिघलती बर्फ कैंप और उसके साथ दबे किसी भी शेष जैविक, रासायनिक और रेडियोधर्मी कचरे को कब फिर से बाहर निकाल सकती है.

शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इस तरह के उपकरणों का उपयोग करने वाला यह दृष्टिकोण वैज्ञानिकों को अंटार्कटिका में समान वातावरण में बर्फ की चादरों की मोटाई को मापने और भविष्य में समुद्र के स्तर में वृद्धि के अनुमानों को सीमित करने में मदद कर सकता है.

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