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SIR पर एक शब्द नहीं बोल रहा विपक्ष का ये CM, कांग्रेस ने उठाए सवाल

बिहार में हुई विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर तमाम विपक्षी दलों ने सवाल खड़े किए हैं. इसके साथ ही चुनाव आयोग और बीजेपी पर कई गंभीर आरोप भी लगाए. हालांकि इस पूरे मामले पर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने चुप्पी साध रखी है. इस पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है. इसके साथ ही सवाल खड़ा किया कि जब सभी विपक्षी मुख्यमंत्रियों ने इस पर प्रतिक्रिया दी है, तो आप SIR पर चुप क्यों हैं?

कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल ने पिनराई विजयन की चुप्पी पर कहा, “चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची में गड़बड़ी एक ऐसा मुद्दा है, जिसका सभी दल विरोध करते हैं. विपक्ष के सभी मुख्यमंत्रियों ने SIR के खिलाफ प्रतिक्रिया व्यक्त की है. इस मामले पर चुप रहने वाले एकमात्र मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन हैं.”

विजयन की चुप्पी पर कांग्रेस का सवाल

कन्नूर में मीडिया को संबोधित करते हुए, कांग्रेस महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कहा, चुनाव से पहले एसआईआर एक ऐसा मुद्दा है, जिसका इंडिया गठबंधन के सभी दल विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि एम.के. स्टालिन, मानत बनर्जी और हेमंत सोरेन ने भी इसका विरोध किया है.

उन्होंने कहा, “वे सभी एसआईआर के विरोध में सामने आए हैं, मुख्यमंत्री विजयन प्रतिक्रिया देने से हिचकिचा रहे हैं. अब वह केवल केरल के मुद्दे पर ही टिप्पणी कर रहे हैं, जो, मैं कहूंगा, उनके दोहरे मानदंडों को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि इस मामले पर केरल के बजाय पूरे देश पर बोलना चाहिए.

केरल में है एसआईआर की तैयारी

केरल के मुख्य चुनाव आयुक्त ने एसआईआर करने से पहले सभी राजनीतिक दलों की एक बैठक बुलाई थी. कांग्रेस और माकपा एसआईआर के खिलाफ सामने आए थे, जबकि BJP ने इसका समर्थन किया था. सोमवार को मुख्य चुनाव अधिकारी रतन यू केलकर ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर केरल में एसआईआर को स्थगित करने का अनुरोध किया, क्योंकि स्थानीय निकाय चुनाव दिसंबर की शुरुआत में होने की संभावना है.

चुनाव आयोग का किया जा रहा इस्तेमाल

माकपा के राज्य सचिव एम वी गोविंदन ने शुक्रवार को मीडिया से कहा कि चुनाव आयोग को केरल में एसआईआर कराने से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, तो एसआईआर कराना कोर्ट की अवमानना के जैसा ही होगा. उन्होंने कहा, “यह अप्रत्यक्ष तरीके से नागरिकता रजिस्टर लाने का प्रयास है. लिस्ट से प्रवासियों को हटाना नागरिकता रजिस्टर लागू करने के जैसा ही है. इसके लिए चुनाव आयोग का इस्तेमाल किया जा रहा है.

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