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ड्राइवर बनकर जिंदगी बिता रहा ये खिलाड़ी, देश का नाम रोशन करने के बाद भी पैसों के लिए हुआ मोहताज!

पूर्व क्रिकेटर विनोद कांबली इन दिनों काफी सुर्खियों में हैं. उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब है और कई बीमारियों से जूझ रहे हैं. विनोद कांबली की इस हालत को देखकर कई लोग मदद से लिए आगे आए हैं. इन सब के बीच भारत के एक और खिलाड़ी की दिल को झकझोर देने वाली कहानी सामने आई है. भारत का एक एथलीट कैब ड्राइवर बनकर अपनी जिंदगी जी रहा है. इस एथलीट ने भारत के लिए कई मेडल जीते हैं, इन सब के बाद भी इस एथलीट को ज्यादा पहचान नहीं मिली है और उन्हें अपने परिवार की आर्थिक मदद करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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ड्राइवर बनकर जिंदगी बिता रहा ये खिलाड़ी

दरअसल, सोशल मीडिया पर एंटरप्रेन्योर आर्यन सिंह कुशवाह का एक पोस्ट काफी वायरल हो रहा है. उन्होंने एक फोटो शेयर करते हुए बताया है कि वह जिस ओला कैब में सवारी कर रहे थे, उसका ड्राइवर एक समय भारत का एक एथलीट था. जिनका नाम पराग पाटिल है. उन्होंने बताया कि पराग पाटिल एक पूर्व ओलंपियन हैं. पराग पाटिल ने अपने पेशेवर करियर की कहानी भी बताई, जिसे आर्यन सिंह किशवाह ने अपने लिंक्डइन पर शेयर किया.

आर्यन सिंह किशवाह ने एक फोटो शेयर करते हुए लिखा, मेरा ओला ड्राइवर एक ओलंपियन है. पराग पाटिल सीनियर ओलंपियन से मिलिए. ट्रिपल जंप में एशिया में दूसरे स्थान पर. लॉन्ग जंप में एशिया में तीसरे स्थान पर. जब भी उन्होंने इंटरनेशनल लेवल पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है, वह कभी भी मेडल के बिना नहीं लौटे हैं. 2 गोल्ड, 11 सिल्वर, 3 ब्रॉन्ज मेडल. फिर भी उसके पास कोई स्पॉन्सर नहीं है. एथलेटिक करियर की तो बात तो छोड़िए, उनके पास सिर्फ अपने परिवार का पेट पालने के लिए ही पैसे हैं. यह पोस्ट उन सभी लोगों के लिए है जो पारस को भारत के लिए इंटरनेशनल लेवल पर प्रतिनिधित्व करने और जीतने के लिए स्पॉन्सर करने में मदद कर सकते हैं.’

पराग पाटिल का करियर

बता दें, पराग पाटिल ने 30 साल की उम्र में अपना पेशेवर करियर शुरू किया था, लेकिन अपने परिवार की आर्थिक मदद करने के लिए वह नौकरी भी कर रहे थे. हालांकि, पाटिल ने ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था या नहीं, इसकी जानकारी नहीं है. उन्होंने सीनियर ओलंपिक में जरूर भाग लिया है, जहां उम्र के हिसाब से बड़े एथलीट भाग लेते थे. उन्होंने 2013 में इंटरनेशनल वेटरन्स एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में अपनी पहली उपस्थिति दर्ज की थी, जहां वह 3 सिल्वर मेडल जीतने में कामयाब रहे थे. इसका अलावा 2015 ऑस्ट्रेलियाई मास्टर्स गेम्स में उन्होंने दो गोल्ड और दो सिल्वर मेडल अपने नाम किए थे. लेकिन उन्हें कभी भी मीडिया कवरेज नहीं मिली.

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