विजयादशमी का त्योहार हिंदू रीति-रिवाज से बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है. ये हर साल 9 दिन की नवरात्रि के बाद दशमी के दिन पड़ता है. इस दिन के कई महत्व हैं. इसे पौराणिक कथाओं के 2 बड़े प्रसंगों के आधार पर मनाया जाता है. जगह-जगह इस दिन रावण का पुतला जलाया जाता है और लोग खुशियां मनाते हैं. इस दिन को बुराई पर अच्छाई की विजय के तौर पर जाना जाता है. आइये जानते हैं कि साल 2024 को विजयादशमी का त्योहार किस दिन पड़ रहा है और रावण दहन के लिए कौन सा मुहूर्त शुभ है. साथ ही ये भी जानते हैं कि इस दिन शस्त्रों के पूजन का क्या महत्व है.
विजयादशमी क्यों मनाते हैं
विजयादशमी को ही दशहरा के नाम से जाना जाता है. इस त्योहार को मनाने के दो प्रसंग हैं. पहला प्रसंग सतयुग से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि इस युग में एक महिषासुर नाम का राक्षस था. उसे वरदान मिला था कि वो कभी भी इंसान का रूप धारण कर सकता था और कभी भी भैंस का रूप धारण कर देता था. उसके अत्याचार से सभी त्रस्त थे. उसे वरदान मिला था कि कोई देवता भी उसका बाल बांका नहीं कर सकता है. तभी ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने मिलकर महाशक्ति का संचार किया. इस महाशक्ति को ही मां दुर्गा के रूप में जाना जाता है जिनके 9 रूप हैं. कहा जाता है कि 9 दिन महिषासुर से लड़ाई करने के बाद माता रानी ने 10वें दिन उसका वध कर दिया था. उसी दिन से विजयादशमी का त्योहार मनाया जाने लगा था.
वहीं दूसरा प्रसंग त्रेता युग में भगवान राम के साथ जुड़ा है. कहा जाता है कि दशहरा के दिन ही भगवान राम ने रावण का वध किया था. इस दिन उत्सव मनाया गया और तभी से इस त्योहार को मनाने का भी चलन लोगों के बीच प्रचलित है. इस दिन भगवान राम की जीत को उत्सव के तौर पर मनाया जाता है. जगह-जगह पर रावण के पुतले जलाए जाते हैं जहां लोगों की भारी भीड़ देखने को मिलती है.
रावण दहन का मुहूर्त क्या है
इस बार दशमी की तारीख 12 अक्टूबर को 10 बजकर 58 मिनट पर लगेगी और इसका समापन 13 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 08 मिनट पर होगा. उदियातिथि के अनुसार दशहरा की तारीख 12 अक्टूबर 2024 पड़ रही है. इस दिन पूजा का समय 11 बजकर 44 मिनट पर शुरू हो जाएगा. इसके बाद रावण दहन की बात करें तो इसका समय प्रदोष काल में पड़ता है. इस हिसाब से रावण दहन का समय शाम को 05 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगा जो शाम को 07 बजकर 27 मिनट पर खत्म होगा. इसी बीच रावण के दहन का मुहूर्त है. इस बार रावण दहन के लिए 1घंटा 33 मिनट यानी कि 93 मिनट का समय मिलेगा.
विजयादशमी में क्यों करते हैं शस्त्रों की पूजा?
दशहरा के दिन शस्त्र पूजा का महत्व सतयुग के दौरान का है. कहा जाता है कि सतयुग में महिषासुर को मारने के लिए देवताओं ने मां दुर्गा की उत्पत्ति की. इसके बाद सभी देवताओं ने माता रानी को अपने शस्त्रों का आशीर्वाद दिया. उसकी मदद से ही महिषासुर जैसे विभत्स दैत्य को मारने में मां दुर्गा सफल हुईं. इस दिन के बाद से ही दशहरा पर शस्त्रों का पूजन विशेष माना जाता है और सर्वप्रथम इसे करने की मान्यता है. इसे विधि-विधान और मंत्र उच्चाहरण के साथ करने का बहुत लाभ मिलता है.