खबर है कि मध्य दिसंबर तक नये राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच सर्वसम्मति बनाने की कोशिश शुरू हो जाएगी. मौजूदा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा एक्सेंशन पर चल रहे हैं, क्योंकि 2024 के चुनाव अभी खत्म नहीं हुए हैं.
जून, 2019 में जेपी नड्डा बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष बने थे, और जनवरी, 2020 तक पूर्णकालिक अध्यक्ष बन चुके थे. पहले लोकसभा चुनावों के कारण उनका कार्यकाल बढ़ाया गया, लेकिन इस, साल के विधानसभा चुनावों को देखते हुए बीजेपी ने बदलाव का जोखिम नहीं उठाया.
बताते हैं कि बीजेपी का सदस्यता अभियान खत्म होने के बाद राज्यों में संगठन के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है, और प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष की बारी आएगी. ये भी सुनने में आ रहा है कि आने वाले दो महीनों में बीजेपी को नया अध्यक्ष मिलने के साथ ही संगठन में भी बड़े पैमाने पर बदलाव किया जाएगा.
बीएल संतोष बने मजबूत दावेदार!
लोकसभा चुनाव के दौरान जेपी नड्डा के एक बयान की वजह से संघ और बीजेपी के रिश्ते थोड़े खराब हो गये थे, लेकिन अब ठीक माने जा रहे हैं. फर्क सिर्फ ये पड़ा है कि संघ ने जो खुली छूट दे रखी थी, वो स्थिति अब नहीं रही.
लोकसभा चुनाव के दौरान जेपी नड्डा यहां तक बोल गये थे कि बीजेपी अपनेआप में इतनी सक्षम हो चुकी है कि उसे संघ की मदद की बहुत जरूरत नहीं बची है, लेकिन उनका ये बयान बीजेपी को बहुत भारी पड़ा. संघ ने अपने हाथ खींच लिये, और बीजेपी लोकसभा चुनाव में अपने बूते बहुमत भी हासिल नहीं कर पाई. ऐसे में ये तो तय है कि अब जो भी बीजेपी का अध्यक्ष बनेगा वो सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की पसंद का नहीं होगा – बीजेपी जो भी नाम फाइनल करे अंतिम मुहर तो संघ ही लगाएगा.
ऐसा भी नहीं कह सकते कि संघ अपनी तरफ से कोई नाम प्रस्तावित करने जा रहा है, अब भी वो सिर्फ अपनी राय ही देगा – लेकिन, ये नहीं भूलना चाहिये कि संघ की वो राय किसी आदेश से कम नहीं होगी. अब तक जिन नामों की संभावना जताई जा रही थी, उनमें शामिल हैं – शिवराज सिंह चौहान, विनोद तावड़े, देवेंद्र फडणवीस, सुनील बंसल और भूपेंद्र यादव. हर नाम के पीछे उनकी अहमियत के हिसाब से अलग अलग दलील दी जा रही थी.
महाराष्ट्र चुनाव को लेकर देवेंद्र फडणवीस को भी रेस में आगे माना जा रहा था, और संघ के पसंदीदा नेता होने के कारण शिवराज सिंह चौहान को भी. संघ और बीजेपी की तकरार के बीच एक बार राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम भी उछला था, लेकिन अब वो भी चर्चा से बाहर हो चुकी हैं. हाल फिलहाल जिस नाम पर सबसे ज्यादा जोर देखने को मिल रहा है, वो है – बीएल संतोष का नाम. बीएल संतोष फिलहाल बीजेपी के संगठन महासचिव हैं. और, ये पोस्ट हर पार्टी में काफी ताकतवर माना जाता है.
सबसे मजबूत दावेदार क्यों हैं बीएल संतोष?
1. बीएल संतोष दक्षिण भारत में कर्नाटक से आते हैं. वही कर्नाटक जहां बीजेपी की सरकार बनाकर बीएस येदियुरप्पा ने पार्टी के लिए दक्षिण का द्वार खोला था. अब वो कर्नाटक भी बीजेपी के हाथ से निकल चुका है.
बीजेपी ने तेलंगाना पर भी काफी जोर लगाया था, लेकिन वहां कांग्रेस कब्जा जमा बैठी है – और तमिलनाडु में पांव जमाने तक की जगह नहीं मिल रही है.
2. बीएल संतोष का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ा होना उनकी दावेदारी को और भी मजबूत बना रहा है. वो 1993 में आरएसएस के प्रचारक बने थे, और संघ से ही बीजेपी में आये हैं.
3. बीएल संतोष के पक्ष में सबसे बड़ी बात ये है कि वो नरेंद्र मोदी और अमित शाह के साथ भी काम कर चुके हैं – और संघ से जुड़ा होना उनकी दावेदारी को पक्का कर रहा है.