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‘जिनके कार्यकाल में भोपाल गैस कांड हुआ, वही गलतफहमी फैलाने से आज भी बाज नहीं आ रहे,’ पीथमपुर के प्रदर्शन पर बोले CM मोहन यादव

मध्य प्रदेश के पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे को नष्ट करने और इसके विरोध में प्रदर्शन पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बड़ा बयान दिया है. प्रदेश के मुखिया ने कहा कि जिनके कार्यकाल में भोपाल गैस त्रासदी हुई, वही गलतफहमी फैलाने से आज भी बाज नहीं आ रहे हैं. अज्ञानता के आधार पर गलत बात फैलाई जा रही है.

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CM यादव ने कहा कि वोट की राजनीति के लिए कोई झूठी बात फैलाए तो मैं क्या कर सकता हूं? मैं इसकी निंदा करूंगा और इससे उन्हें बचाना चाहिए. नई पीढ़ी के बच्चे गलतफहमी पाल लेंगे तो यह किसी के लिए ठीक नहीं होगा.

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि सरकार कभी नहीं चाहेगी कि किसी भी इंसान को नुकसान हो. कचरा निष्पादन के लिए पीथमपुर का चयन सुप्रीम कोर्ट ने किया है.गलतफहमी फैलाने वालों से बचने की जरूरत है. सरकार गंभीरता से वैज्ञानिकों के निर्देशन में कचरा निष्पादन करेगी.

उन्होंने अपने बयान में कहा कि किसी की जान को खतरे वाला स्टेप नहीं हो सकता. कचरे का निष्पादन अभी नहीं हुआ है, केवल डंप किया गया है. सरकार मानती है, सबका जीवन मूल्यवान है.

सीएम यादव ने कहा, ”उम्मीद करता हूं कि मेरी बात सब समझेंगे. कचरा नष्ट करने को लेकर रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लिया है.”

प्रदेश के पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के 337 टन कचरे के निपटान की योजना के खिलाफ बंद के आह्वान के बीच शुक्रवार को दो लोगों ने खुद को आग लगा ली, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.

प्रत्यक्षदर्शियों और घटनास्थल पर बनाए गए वीडियो के अनुसार धार जिले के शहर में कचरे के निपटान के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन के दौरान दो लोगों ने अपने शरीर पर कुछ तरल पदार्थ डाला और खुद को आग लगा ली.

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि दोनों व्यक्तियों की उम्र करीब 40 वर्ष थी और उन्हें इंदौर से करीब 30 किलोमीटर दूर पीथमपुर के एक अस्पताल में ले जाया गया. धार के पुलिस कप्तान मनोज सिंह ने एक न्यूज एजेंसी को बताया, “स्थानीय सुविधा से उन्हें इंदौर के एक प्राइवेट अस्पताल में ले जाया गया है. दोनों खतरे से बाहर हैं. स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन तनावपूर्ण है.”

एसपी ने बताया कि शहर में अन्य स्थानों पर भी विरोध प्रदर्शन हुए. पीथमपुर बचाओ समिति द्वारा आहूत बंद के दौरान कस्बे में दुकानें और बाजार बंद रहे. समिति का दावा है कि इलाके में कार्बाइड कचरे को जलाने की योजना से स्थानीय लोगों और पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा. पीथमपुर की आबादी करीब 1.75 लाख है और इसके औद्योगिक क्षेत्र में तीन सेक्टरों में करीब 700 फैक्ट्रियां हैं.

2-3 दिसंबर, 1984 की रात को भोपाल में यूनियन कार्बाइड कीटनाशक फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस लीक हुई थी, जिससे कम से कम 5,479 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग गंभीर और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे.

अधिकारियों ने कार्बाइड फैक्ट्री से 337 टन कचरे को वैज्ञानिक तरीके से निपटाने के लिए पीथमपुर भेज दिया है, हालांकि इस कदम से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. भोपाल से सामग्री गुरुवार को पीथमपुर में एक भस्मीकरण इकाई में पहुंची.

पीथमपुर में बंद के आह्वान के बीच शुक्रवार को दुकानें और बाजार बंद रहे, प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने आयशर मोटर्स के पास सड़क को अवरुद्ध कर दिया, लेकिन पुलिस ने उन्हें काबू में किया और हल्के लाठीचार्ज के साथ सामान्य यातायात बहाल किया.

गुरुवार से बस स्टैंड पर भूख हड़ताल पर बैठे संदीप रघुवंशी ने कहा कि पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड कचरे के निपटान के खिलाफ उनके विरोध पर बड़ी संख्या में लोगों ने उनके साथ एकजुटता व्यक्त की है.

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 3 दिसंबर को भोपाल में यूनियन कार्बाइड साइट को सुप्रीम कोर्ट सहित अदालती निर्देशों के बावजूद खाली नहीं करने के लिए अधिकारियों को फटकार लगाई थी. इसने कचरे को स्थानांतरित करने के लिए चार सप्ताह की समय सीमा तय की थी, यह देखते हुए कि गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी अधिकारी ‘निष्क्रियता की स्थिति’ में हैं.

अदालत ने सरकार को चेतावनी दी थी कि यदि उसके निर्देश का पालन नहीं किया गया तो अवमानना कार्यवाही की जाएगी. इस बीच, कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पीथमपुर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है.

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गुरुवार को संदेहियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि अपशिष्ट में 60 प्रतिशत मिट्टी और 40 प्रतिशत नेफ्थॉल है जिसका उपयोग कीटनाशक मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) बनाने में किया जाता है और यह ‘बिल्कुल भी हानिकारक नहीं है.’

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