भोपाल। साइबर क्राइम पुलिस ने दुबई से संचालित साइबर ठगी गिरोह के लिए काम करने वाले तीन आरोपितों को महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया है। साथ ही उन्हें बैंक खाते बेचने वाले दो अन्य लोग भी पकड़े गए हैं।
तीनों आरोपित दुबई में बैठे साइबर ठगों के बैंक अकाउंट ऑपरेटर के रूप में काम करते थे। ठग शेयर बाजार में निवेश के नाम पर भारत के लोगों से रोजाना करीब सौ करोड़ रुपये ठगते थे और फिर ठगी की राशि इन तीनों के खातों में भिजवा देते थे।
50 हजार रुपये में खरीदते थे करंट बैंक अकाउंट
आरोपित उस राशि के लेनदेन के लिए 50 हजार रुपये में लोगों से चालू बैंक खाते खरीदते थे। उनके खातों में प्रतिदिन 100 करोड़ से भी ज्यादा साइबर ठगी की राशि आती थी, जिसमें से वे चार प्रतिशत कमीशन काटकर शेष रुपये ठगों को भेज देते थे।
ठगों ने पिछले वर्ष भोपाल के एक व्यक्ति से शेयर बाजार में निवेश के नाम पर एक करोड़ 22 लाख रुपये की ठगी की थी, जिसकी शिकायत पर पुलिस ने पश्चिम बंगाल के कूचबिहार से तीन और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली व नागपुर से दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है।
भोपाल के व्यक्ति से हुई थी 1 करोड़ 22 लाख रुपये की ठगी
एसआई देवेंद्र साहू ने बताया कि पिछले वर्ष जुलाई में करीब सवा करोड़ रुपये की ठगी की शिकायत मिली थी। साइबर ठगों ने शेयर बाजार में भारी मुनाफे का लालच देकर एक फर्जी एप में फरियादी से एक करोड़ 22 लाख रुपये निवेश करवाए थे। जिन खातों में रुपये भेजे गए थे, पुलिस ने उनकी जांच की तो कूचबिहार के ग्राम सोनाखुली निवासी मुस्तफा मुशरफ हुसैन का बैंक खाता निकला।
वह डीफार्मा का विद्यार्थी है और उसने अपना खाता 50 हजार रुपये में कूचबिहार के ही टकागच गांव के निहार आलम को बेच दिया था। निहार कालेज का छात्र है। वह पड़ोसी गांव कुर्सामारी के बीएड छात्र अशरफुल हक के साथ साइबर ठगों के बैंक ऑपरेटर के रूप में काम करता था। दोनों आरोपितों ने बताया कि वे छात्रों को लालच देकर उनके नाम से बैंक खाते खुलवाकर खरीदते थे।