छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक बार फिर बाघ के पैरों के निशान देखे गए हैं। इस बार ये निशान लैलूंगा क्षेत्र के जंगल और खेतों में नजर आए हैं। इसके बाद लैलूंगा रेंज का वन विभाग सतर्क हो गया है। पूरे दिन पदचिन्हों की ट्रैकिंग की गई। हालांकि, अभी तक बाघ की मौजूदगी की स्पष्ट पुष्टि नहीं की गई है।
छाल रेंज के पुरंगा, हाटी, सामरसिंघा सहित आसपास के क्षेत्रों में पहले भी बाघ के पदचिन्ह मिलने के बाद से लगातार ट्रैकिंग की जा रही थी। इसी बीच रविवार को जानकारी मिली कि लैलूंगा रेंज के फुटहामुड़ा-फुलीकुंडा क्षेत्र में भी बाघ के पदचिन्ह दिखाई दिए हैं। ग्रामीणों ने जंगल की ओर जाते समय यह निशान देखे, जिसके बाद उन्होंने तुरंत वन विभाग को इसकी सूचना दी।
सूचना मिलते ही एसडीओ समेत विभाग के अन्य अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुंचे और पदचिन्हों का नाप-जोख किया गया। पदचिन्ह लगभग 16 सेमी लंबा और 14 सेमी चौड़ा बताया गया है।
बाघ की ट्रैकिंग में जुटा वन विभाग
बाघ के पैरों के निशान मिलने के बाद वन विभाग की टीम ने ट्रैकिंग शुरू की। अनुमान है कि यह बाघ पूरी तरह व्यस्क नहीं है, लेकिन करीब-करीब वयस्क आकार का हो सकता है। दियापुर क्षेत्र में भी बाघ जैसे ही पदचिन्ह मिले हैं। टीम ने करीब 8 से 10 किलोमीटर तक ट्रैकिंग की, लेकिन अब तक बाघ दिखाई नहीं दिया।
गांवों में मुनादी, लोगों को दी गई सतर्कता की चेतावनी
बाघ की आशंका को देखते हुए विभाग ने फुटहामुड़ा, चिमटापानी, फुलीकुंडा, हल्दीझरिया, दियापुर, तोलगे समेत आसपास के गांवों में मुनादी कराई। ग्रामीणों को जंगल की ओर अकेले न जाने की हिदायत दी गई है। इससे गांवों में भय का माहौल बन गया है।
अभी किसी ने बाघ को नहीं देखा
इस मामले में लैलूंगा सब-डिवीजन के एसडीओ एम. एल. सिदार ने बताया कि यह बाघ घरघोड़ा की ओर से लैलूंगा रेंज में पहुंचा हो सकता है। पदचिन्हों के आधार पर बाघ होने की आशंका है, लेकिन अब तक किसी ने उसे देखा नहीं है।
यदि शिकार की कोई जानकारी मिलती है, तो ट्रैप कैमरे लगाए जाएंगे ताकि बाघ की मौजूदगी की पुष्टि की जा सके। साथ ही ग्रामीणों से सतर्क रहने, अफवाह न फैलाने और किसी भी पुख्ता जानकारी पर तुरंत वन विभाग को सूचना देने की अपील की गई है।