पन्ना : बाघ पुर्नस्थापना मामले में वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व आने वाले दिनों में पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघों का नया और पंसदीदा ठिकाना बन सकता है.दरअसल पन्ना टाइगर रिजर्व पहले से ही टेरोटरी को लेकर बाघ संघर्ष से जूझ रहा है, और अब केन बेतवा लिक परियोजना की वजह से रिजर्व के कोर एरिया का बड़ा हिस्सा डूब क्षेत्र में आ जाएगा.
जिससे यहां के बाघ प्राकृतिक कॉरीडोर से बीडीटीआर में पहुंचेंगे.अभी यहां लगभग 100 से अधिक बाघ होने का अनुमान है.पन्ना टाइगर रिजर्व और वीडीटीआर के बीच बाघों का प्राकृतिक कॉरीडोर है, जहां से यह आना-जाना करते हैं.
पीटीआर की 5800 हेक्टेयर भूमि डूब क्षेत्र में
बता दें कि केन बेतवा लिक परियोजना का सीधा असर पन्ना टाइगर रिजर्व पर पड़ने जा रहा है.परियोजना के चलते पीटीआर के कोर एरिया का 10 फीसदी से ज्यादा इलाका यानी करीब 5800 हेक्टेयर भूमि डूब क्षेत्र में समा जाएगी.
इससे बाघों का प्राकृतिक आवास प्रभावित होगा और कई बाघों को अपना इलाका छोड़कर अन्य स्थानों की ओर पलायन करना पड़ सकता है, जिनका वैकल्पिक नया ठिकाना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व माना जा रहा है.
बचाव के लिए ग्रेटर पन्ना लैंडस्केप योजना
ऐसे हालात से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने ग्रेटर पन्ना लैंडस्केप योजना तैयार की है.इस पर लगभग 3000 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. योजना का मकसद बाघ, गिद्ध और घडियाल जैसे दुर्लभ वन्यजीवों के लिए सुरक्षित और विस्तारित आवास सुनिश्चित करना है.बहरहाल, रोटर पन्ना लैंडस्केप योजना को अंतिम रूप देने से पहले केंद्र सरकार की मंजूरी आवश्यक है.स्वीकृति मिलते ही इस परियोजना को अमलीजामा पहनाया जाएगा.
केन बेतवा योजना से जुड़ेंगे 11 जिले
इस योजना के तहत मध्यप्रदेश के 8 जिले पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, सतना, रीवा, दमोह और कटनी व उत्तर प्रदेश के 3 जिले चित्रकूट, बांदा और ललितपुर को जोड़ा जाएगा.बताया गया है कि पीटीआर का कोर क्षेत्र 576 वर्ग किमी है.डूब क्षेत्र से प्रभावित बाधों के लिए वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व ही सबसे बड़ा विकल्प बनकर सामने आ रहा है, क्योंकि दोनों रिजर्व प्राकृतिक कॉरिडोर से जुड़े हुए हैं.
वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर में पहुंचेंगे बाघ
पन्ना टाइगर रिजर्व में केन-बेतवा परियोजना से प्रभावित बाघ प्राकृतिक कॉरिडोर से वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व पहुंच सकते हैं.पीटीआर के बाघ साउथ एरिया से झापन, मोहली व सर्रा क्षेत्र में आ सकते हैं.जहां ये अपनी टेरोटरी बना सकते हैं.बता दें कि पन्ना टाइगर रिजर्व में बढ़ती बाधों की संख्या के अनुरूप पर्याप्त क्षेत्र नहीं है, जो आने वाले दिनों में लिक परियोजना की वजह से और भी छोटा हो जाएगा.