पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले में सड़क पर निर्वस्त्र कर महिला को पीटने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. चोपड़ा ब्लॉक में बीच सड़क पर एक महिला और एक पुरुष को डंडे से पीटने वाले शख्स को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. इस घटना पर तृणमूल कांग्रेस के चोपड़ा से विधायक हमीदुल रहमान ने एक ऐसा बयान दिया जो हैरान करने वाला है. इस बयान की बंगाल के स्पीकर बिमान बनर्जी ने भी आलोचना की है.
पश्चिम बंगाल विधानसभा के स्पीकर बिमान बनर्जी ने टीएमसी विधायक की निंदा करते हुए कहा, “ऐसा नहीं होना चाहिए था.” जब उनसे टीएमसी विधायक हमीदुर रहमान द्वारा चोपड़ा पीड़ित महिलाओं को ‘दुष्ट जानवर’ कहने के बारे में पूछा गया. स्पीकर बिमान बनर्जी ने कहा, “मैं हमीदुल रहमान द्वारा कही गई बातों पर टिप्पणी नहीं कर सकता. लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए था.”
क्या कहा था विधायक ने
आपको बता दें कि चोपड़ा से TMC के विधायक हमीदुल रहमान ने कहा महिला के साथ हुई पिटाई को ही ठहराते हुए कहा था कि आरोपी तजमुल का पार्टी से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने महिला को ही कटघरे में खड़ा कर दिया और कहा कि महिला अपने पति, बेटे और बेटी को छोड़कर ‘दुष्ट जानवर’ बन गई थी. मुस्लिम राष्ट्र के हिसाब से कुछ कानून और न्याय होता है. इस बयान की बीजेपी ने तीखी आलोचना की थी.
वीडियो में जो शख्स पिटाई करता नजर आ रहा है उसे स्थानीय लोग जेसीबी के नाम से बुलाते हैं क्योंकि इलाके में वह बहुत शक्तिशाली है. महिला और एक पुरुष को डंडे से पीटने वाले तजमुल हक उर्फ जेसीबी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. इसे गैरकानूनी कंगारू कोर्ट की ओर से सजा दिए जाने का मामला बताया जा रहा है.
कंगना का राहुल गांधी से सवाल
इस घटना पर बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने कहा, ‘एक महिला पर व्यभिचार का आरोप लगाया गया और वहां शरिया कानून लागू किया गया. मैं टीएमसी और ममता बनर्जी सहित इंडी गठबंधन के सहयोगियों से पूछना चाहती हूं, जो हर दिन संविधान के साथ विरोध कर रहे हैं और हर दिन नाटक कर रहे हैं – क्या संविधान में लिखा है कि आप किसी भी राज्य में मनमाने ढंग से शरिया कानून लागू कर सकते हैं?…राहुल गांधी को इसका जवाब देना चाहिए क्योंकि टीएमसी इंडी गठबंधन का हिस्सा है…”
क्या है कंगारू कोर्ट?
दरअसल, कंगारू कोर्ट का आशय उस तरह की अदालत या पंचायत से है, जहां गैरकानूनी तरीके से किसी को आरोपी मानकर सजा दी जाती है. या कहें कि लोगों के किसी समूह के दबाव में आकर एकतरफा फैसला सुना दिया जाता है.