cricket commentary in parliament: संसद में सोमवार (10 फरवरी) को क्रिकेट का एक गंभीर मुद्दा उठाया गया. यह मामला आकाशवाणी पर क्रिकेट कमेंट्री का था, जिसे ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (TMC) के राज्यसभा सांसद मोहम्मद नदीमुल हक ने उठाया. उन्होंने यह मुद्दा राज्यसभा में प्रश्नकाल के उठाया.
सांसद की इस महत्वाकांक्षा की सराहना सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी की. नदीमुल ने आकाशवाणी पर क्रिकेट कमेंट्री को जारी रखने की मांग की. उन्होंने कहा कि आकाशवाणी को हर भाषा में क्रिकेट की कमेंट्री करानी चाहिए. उन्होंने कहा कि फंड का हवाला देते हुए वेन्यू पर कमेंटेटर्स को नहीं भेजते.
BCCI ब्रॉडकास्ट का अधिकार नहीं देता
.नदीमुल ने कहा कि आकाशवाणी की पहुंच करोड़ों लोगों तक है. इस क्षमता का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी पहुंच बनाने के बावजूद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) आकाशवाणी को क्रिकेट कमेंट्री के ब्रॉडकास्ट का अधिकार नहीं देता. यह लोगों के उनके अधिकारों से दूर रखना है.
नदीमुल ने कहा- ‘सरकार रेडियो पर क्रिकेट कमेंट्री की परंपरा को सालों से खत्म कर रही है.रेडियो क्रिकेट कमेंट्री में कई दिग्गज कमेंटेटर्स हुए हैं. रेडियो पर भारतीय क्रिकेट कमेंट्री अब इतनी खराब स्थिति में क्यों हैं. हिंदी में सुशील दोशी और विनीत और इंग्लिश में सुनील गुप्ता और प्रकाश वानकर को छोड़कर यह बोरिंग है.’
करीब 17 करोड़ लोग पॉडकास्ट सुनते हैं
TMC सांसद ने कहा, ‘आकाशवाणी के लिए अच्छा कंटेंट और वर्ल्ड क्लास क्रिकेट प्रोड्यूस करके ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुंचने की संभावना है. बीबीसी और ABC हमेशा अच्छे कमेंटेटर्स का इस्तेमाल करते हैं. आकाशवाणी देश का नेशनल ब्रॉडकास्टर है. इसके 591 स्टेशन हैं, जो 98% आबादी तक पहुंचते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘2022 के शुरुआती तीन महीनों में आकाशवाणी सुनने वालों का हर महीने का औसत 2 करोड़ था. भारत में पॉडकास्ट सुनने वालों की संख्या करीब 17 करोड़ होने का अनुमान है, फिर भी बीसीसीआई और चैनल आकाशवाणी को रेडियो के अधिकार नहीं देते.’