सोशल मीडिया पर रहने के लिए कंधे चौड़े होने चाहिए. ये टिप्पणी दिल्ली हाई कोर्ट ने की है. अदालत ने मानहानि से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए ये बात कही. दरअसल, एक ऑनलाइन लीगल एजुकेशन प्लेटफॉर्म ने चार लोगों के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था. जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने फैसले में कहा, किसी भी सोशल मीडिया पोस्ट पर प्रतिक्रियाएं मिलना तय है. कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित एक पोस्ट की या तो सराहना की जाएगी या आलोचना की जाएगी और आलोचना को सहन करने के लिए यूजर्स के कंधे चौड़े होने चाहिए.
क्या है पूरा मामला?
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
ऑनलाइन लीगल एजुकेशन प्लेटफॉर्म लॉ सीखो ने नेशनल लॉ ग्रैजुएट्स की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था. जिसपर लॉ के 4 छात्रों ने जवाब दिया, जिसे लॉ सीखो ने मानहानि कहा.
मुकदमे में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने तर्क दिया कि मुख्य ट्वीट अच्छे इरादे के साथ पोस्ट किया गया था जो कानून के छात्रों, कानून फर्मों और शैक्षणिक संस्थानों को प्रभावित कर रहा था. उसने कोर्ट में यह भी तर्क दिया कि जवाब में आया ट्वीट अपमानजनक था. साइबरस्पेस में उसे बदनाम किया.
मुकदमे में यह भी कहा गया कि ट्वीट्स में प्रतिष्ठा, वित्तीय स्थिरता को भी नुकसान पहुंचा सकता था. वो निवेशकों के विश्वास के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा था. वहीं, एक प्रतिवादी ने तर्क दिया कि ट्वीट उत्तेजक था. लॉ सीखो पर 1 लाख डॉलर का जुर्माना लगाते हुए न्यायमूर्ति अरोड़ा ने अपने फैसले में कहा कि मुख्य ट्वीट ऑनलाइन ट्रोलिंग के मापदंडों के अंतर्गत आता है.
अपने 54 पेज के फैसले में न्यायमूर्ति अरोड़ा ने कहा कि एक राय व्यक्त करना दंडनीय नहीं है, जब तक कि इससे ठोस नुकसान न हो और मुकदमा निराधार पाया, क्योंकि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अदालत में दायर करने से पहले सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के तहत निवारण की मांग करने में विफल रहा.