नवरात्रि का पर्व शुरू हो गया है और इस पर्व के पहले दिन मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा की जाती है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार, मां शैलपुत्री का जन्म पर्वता राज हिमालय के घर हुआ था. इसलिए ही इन्हें शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है. मां के इस रूप को करुणा और स्नेह का प्रतीक माना जाता है. मां शैलपुत्री के मुख पर कांतिमय तेज झलकता है. मां शैलपुत्री बाएं हाथ में कमल पुष्प और दाएं हाथ में त्रिशूल धारण करती हैं, इनकी सवारी वृषभ है. मां अपने भक्तों का उद्धार कर दुखों को दूर करती हैं.
घट स्थापना शुभ मुहूर्त (Ghat Sthapana Shubh Muhurat)
नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करने के लिए दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं. कलश स्थापना के लिए पहला शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 15 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक है और कलश स्थापना और उसके पूजन के लिए आपको 1 घंटा 6 मिनट का ही समय मिलेगा.
दूसरा मुहूर्त कलश स्थापना के लिए दोपहर में भी अभिजीत मुहूर्त में बन रहा है. यह मुहूर्त सबसे अच्छा माना जाता है. दिन में आप 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट के बीच कभी भी कलश स्थापना कर सकते हैं. दोपहर में आपको 47 मिनट का ही शुभ समय मिलेगा.
माता शैलपुत्री की कथा (Maa Shailputri Vrat Katha in Hindi)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार प्रजापति दक्ष ने यज्ञ करवाने का फैसला किया. इसके लिए उन्होंने सभी देवी-देवताओं को निमंत्रण भेज दिया, अपनी पुत्री सती और दामाद भगवान शिव को नहीं बुलाया. देवी सती उस यज्ञ में जाने के लिए बेचैन थीं, लेकिन भगवान शिव ने उन्हें बिना निमंत्रण के वहां जाने से मना किया. लेकिन सती माता नहीं मानी और अपनी हठ पर अड़ी रहीं. इसके बाद महादेव को विवश होकर उन्हें भेजना पड़ा.
सती जब अपने पिता प्रजापति दक्ष के यहां पहुंची तो वहां किसी ने भी उनसे प्रेमपूर्वक व्यवहार नहीं किया. उनका और भगवान शिव का उपहास उड़ाया. इस व्यवहार से देवी सती बहुत आहत हुईं. वो अपने पति का अपमान बर्दाश्त नहीं कर पाईं और क्रोधवश वहां स्थित यज्ञ कुंड में बैठ गईं. जब शिव को ये बात पता चली तो वे दुख और क्रोध की ज्वाला में जलते हुए वहां पहुंचे और यज्ञ को ध्वस्त कर दिया. कहा जाता है कि इसके बाद देवी सती ने ही हिमालय पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया. हिमालय की पुत्री होने के नाते देवी पार्वती को शैलपुत्री के नाम से जाना गया.
मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व (Maa Shailputri Significance)
मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में स्थिरता आती है. माता शैलपुत्री की विधिवत आराधना से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और घर में खुशहाली आती है. इनकी आराधना करने से मूलाधार चक्र जागृत होते हैं जो अत्यन्त शुभ होता है. साथ ही नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से चन्द्रमा से जुड़े सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.