कोई खेत में गायों को टमाटर खिला रहा है, तो कहीं टमाटर को सड़कों या खेत में ही फेंका जा रहा है. इन दिनों कुछ ऐसा ही हाल है मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिलों के टमाटर उत्पादक किसानों का. टमाटर बेहद ही सस्ते दामों में बिक रहा है. मंडी में टमाटर की कीमत 1 रुपये किलो, तो कहीं 2 से 3 रुपये प्रति किलो तक है. ऐसे में किसानों के सामने बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया. मध्य प्रदेश के देवास में तो अब किसान टमाटर की फसल गायों के हवाले कर दी.अब खेत में खड़ी टमाटर की फसल गायें खा रही हैं. आलम यह है कि खेती की लागत तो दूर तुड़वाई की कीमत भी किसान नहीं वसूल पा रहे हैं..मजबूरी में किसानों ने ये फैसला लिया है. वहीं, छत्तीसगढ़ के जशपुर में भी बीते दिन 1 रुपये किलो टमाटर बिक रहा था. यहां भी टमाटर किसानों के चेहरे पर निराशा देखी जा सकती है.
बता दें, छत्तीसगढ़ मध्य भारत में टमाटर उत्पादन का हब है. राज्य के दुर्ग, जशपुर, महासमुंद, मुंगेली, बालोद जिले में बड़े पैमाने पर टमाटर उत्पादन और उसका निर्यात होता है. लेकिन इस साल टमाटर उत्पादक किसानों की चिंता बढ़ गई है. थोक में 1 रुपये तो खुदरा में 5 रुपये प्रति किलो की दर से टमाटर बिक रहा है.
टमाटर किसानों की बदहाली
देवास के किसान अब खड़े टमाटर की खेती को अपने मवेशियों को चराने को मजबूर हैं, किसानों का कहना है कि अगर तोड़कर मंडी ले जाएं तो मजदूरी भी नहीं निकल रही है. देश के कई हिस्सों से टमाटर किसानों की बदहाली की तस्वीरें सामने आ रही हैं. खेतों में टमाटर लहरा रहे हैं. किसान या तो अपनी फसल खुद ही नष्ट कर रहे हैं, या फिर मंडियों में औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं. किसान का कहना है कि “हमने बहुत मेहनत से फसल तैयार की थी, सोचा था अच्छे दाम मिलेंगे, लेकिन अब 1 से 2 रुपये किलो के हिसाब से टमाटर बिक रहा हैं. लागत तक नहीं निकल रही, ऊपर से कर्ज का बोझ अलग है. अब क्या करें, फसल फेंकने व मवेशियों को खिलाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा.
आखिर क्या है वजह
कम दामों की सबसे बड़ी वजह है, फरवरी मार्च के महीनें में टमाटर का उत्पादन एक दम से बढ़ जाना. मांग से ज्यादा बाजार में टमाटर की आवक कम दामों की एक बड़ी वजह है. हर साल टमाटर और प्याज का जब बंपर उत्पादन होता है, तो शुरुआती दिनों में ऐसे स्थिति देखने को मिलती है. इसकी सबसे बड़ी क्षति किसानों को उठानी पड़ती है. इन दिनों MP और CG में टमाटर का बंपर उत्पादन हुआ है. इसलिए दाम कम हुए हैं.
ऐसे हो सकता है समाधान
किसानों के बीच लंबे समय से कार्य कर रहे कृषि स्नातक और युवा कोरोबारी पंकज सिंह NDTV से कहते हैं कि फसलों का सही दाम न मिलना किसानों को बड़े आर्थिक संकट और कर्ज में झोक सकता है. इसलिए मांग, उत्पादन, दाम और बाजार में संतुलन जरूरी है. अन्य फसलों की तरह टमाटर जैसी अन्य सब्जियों के लिए भी बड़े स्तर पर कोल्डस्टोरेज या वाताअनुकूलित गोदाम बनाए जाना चाहिए. इन गोदामों में ऐसी व्यवस्थाएं होना चाहिए कि वाजिब शुल्क पर किसान अपनी उपज यहां रख सकें. जब बाजार में मांग और दाम बढ़े तो किसान अपनी इच्छा से अपनी उपज बाजार में बेच सकें. सरकार को प्रभावी कदम उठाना चाहिए.