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10 साल में कम हुए ट्रेन हादसे, व्यवस्थाओं में भी हुआ सुधार… सुप्रीम कोर्ट में रेलवे ने क्या-क्या कहा?

देश भर में हो रहीं रेल दुर्घटनाओं पर रेलवे बोर्ड की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया गया है. रेलवे बोर्ड के प्रिंसिपल एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर संजय मिश्रा ने सर्वोच्च अदालत को बताया कि पिछले 10 साल में रेल दुर्घटनाओं में काफी कमी आई है. साल 2004 से 2014 तक दुर्घटनाओं का आंकड़ा 1711 यानी हर साल 171 हादसों का था, जबकि 2014 से 2024 में अब तक का आंकड़ा 678 यानी हर साल 68 हादसों का रहा है.

रेलवे ने अपने हलफनामें में यूपीए-1 और यूपीए-2 के कार्यकाल में हुई दुर्घटनाओं से मौजूदा सरकार में हुई दुर्घटनाओं की तुलना करते हुए बताया कि, 2000-01 में दुर्घटनाओं की संख्या 473 थी, जबकि 2023-24 में यह आंकड़ा घटकर महज 40 रह गया है.

हलफनामें के अनुसार व्यवस्थाओं में आया 95% सुधार

रेलवे बोर्ड ने सु्प्रीम कोर्ट को बताया कि साल 2000-01 में प्रति मिलियन ट्रेन किलोमीटर दुर्घटना (APMTKM) सेफ्टी 0.65 था, जो 2023-24 में घटकर 0.03 हो गई है. इससे स्पष्ट होता है कि व्यवस्थाओं में 95% से ज्यादा सुधार आया है. हलफनामे में बताया गया है कि हर एक रेलवे जोन ने दुर्घटनाओं से बचाव के मद्देनजर एक्शन प्लान बनाया है, और उन्हें लागू किया जा रहा है.

इंटरलॉकिंग सिस्टम लागू

रेलवे बोर्ड ने सु्प्रीम कोर्ट में बताया कि सेंट्रालाइज इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम इस साल जून तक 6589 स्टेशनों के सिग्नल्स पर लागू कर दिए गया है. बोर्ड ने बताया कि कवच तकनीक को साउथ सेंट्रल रेलवे में 144 लोकोमोटिव्स में 1465 किमी के रूट पर शुरू किया गया है. यह चरणबद्ध योजना है, जो विभिन्न तकनीकी विकास के साथ लागू की जा रही है.

सर्दियों में फॉग के लिए जीपीएस बेस्ड फॉग सेफ्टी डिवाइस लोको पायलट्स को मुहैया करायी गई है. रेल पटरियों की खामी दूर करने को अल्ट्रासोनिक फ्ला डिटेक्शन (UFSD) के जरिए टेस्ट किया जा रहा है, ताकि समय से खराब पटरियों को ठीक किया जा सके.

सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे बोर्ड से पूछा था कि ट्रेन हादसों को रोकने के लिए रेलवे ने क्या सेफ़्टी पैरामीटर लगाए हैं. कोर्ट ने ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम ‘कवच’ की जानकारी भी मांगी थी, जिसके बाद रेलवे बोर्ड की तरफ से हलफनामा दायर किया गया है.

क्या है कवच सिस्टम?

भारतीय रेलवे की सुरक्षा के लिए कवच एक स्वदेशी तकनीक है. इसे रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन ने भारतीय उद्योग के सहयोग से विकसित किया है. इसे ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) सिस्टम भी कहा जाता है. कवच के जरिए दो ट्रेनों की टक्कर को रोकना है. अगर ट्रेन का ड्राइवर किसी वजह से ट्रेन को कंट्रोल नहीं कर पाता है तो यह ऑटोमैटिक रूप से ट्रेन ब्रेकिंग सिस्टम को ऑन कर देता है.

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