बुध ग्रह (Mercury) पर 9 मील मोटी यानी 14.48 किलोमीटर चौड़ी हीरे की परत मिली है. यह परत ग्रह की सतह के नीचे हैं. इसका खुलासा हाल ही में नेचर कम्यूनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट से हुआ है. इतनी मात्रा में मौजूद हीरे को धरती पर तो नहीं ला सकते. लेकिन इनकी स्टडी करके बुध ग्रह के बनने और उसके मैग्नेटिक फील्ड की जानकारी हासिल की जा सकती है.
बुध ग्रह कई तरह के रहस्यों को अपने अंदर छिपाए हुए हैं. सबसे बड़ा रहस्य है उसका मैग्नेटिक फील्ड यानी चुबंकीय क्षेत्र. इस ग्रह की मैग्नेटिक फील्ड धरती की तुलना में बेहद कमजोर है. क्योंकि ये ग्रह बेहद छोटा है. भौगोलिक तौर पर एक्टिव नहीं है. इसकी सतह कई जगहों पर गहरे रंग की है.
इस फोटो में (a) में बताया गया है बुध ग्रह के निर्माण के समय की परतें. (b) में दिखाए गए हैं तीन लेयर, जिसमें तीर वाला लेयर जो है, उसमें मौजूद है 15 किलोमीटर मोटी हीरे की परत. (फोटोः डॉ. यानहाओ ली)
हीरे की स्टडी से पता चलेगा ग्रह के बारे में
नासा के मैसेंजर मिशन ने सतह पर मौजूद गहरे रंगों को ग्रैफाइट के रूप में पहचाना था. जो कि कार्बन का एक फॉर्म है. बीजिंग के सेंटर फॉर हाई प्रेशर साइंस एंड टेक्नोलॉजी एडवांस रिसर्च में साइंटिस्ट यानहाओ ली ने कहा कि बुध ग्रह के रहस्यों का खुलासा इसके अंदर की परतों और बनावट की स्टडी से ही पता चल पाएगा.
15 km मोटी हीरे की परत, यानी बड़ा रहस्य
यानहाओ ली ने कहा कि हमे शक है कि ये ग्रह अन्य ग्रहों की तरह ही बना है. यानी गर्म मैग्मा के पिघलने के बाद. लेकिन बुध ग्रह में यह मैग्मा का समंदर कार्बन और सिलिकेट से भरपूर रहा होगा. तभी तो इतनी भारी मात्रा में हीरे मिले हैं. वो भी पूरा सॉलिड हीरा. इतना बड़ा. अंदर का केंद्र मजबूत धातुओं से बना होगा.
जानिए क्यों इतनी मात्रा में मौजूद हैं हीरे
2019 में एक स्टडी आई थी जिसमें कहा गया था कि बुध ग्रह का मैंटल जितना सोचा गया था उससे भी 50 किलोमीटर ज्यादा गहरा है. यानी इसकी वजह से कोर और मैंटल के बीच काफी ज्यादा प्रेशर क्रिएट होता होगा. इसलिए ग्रह के अंदर मौजूद कार्बन हीरे में बदलते जा रहे होंगे. तभी हीरों की इतनी मोटी परत मिली है.