Vyapam केस में लंबे इंतजार के बाद ट्रायल तय: 28 जुलाई से कोर्ट में सुनवाई, 8 आरोपियों की हो चुकी है मौत

देश के सबसे चर्चित और बहुचर्चित घोटालों में शामिल व्यापम फर्जीवाड़ा मामला एक बार फिर न्यायिक प्रक्रिया में तेजी से आगे बढ़ रहा है। अब इस केस की सुनवाई सीबीआई (CBI) की मजिस्ट्रेट कोर्ट नहीं, बल्कि सेशन कोर्ट में की जाएगी। इसका कारण यह है कि सीबीआई ने हाल ही में जो चार्जशीट कोर्ट में प्रस्तुत की, उसमें जो धाराएं जोड़ी गईं वे मजिस्ट्रेट कोर्ट के क्षेत्राधिकार से बाहर की थीं। ऐसे में मामला अब सेशन कोर्ट को स्थानांतरित कर दिया गया है।

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सीबीआई की विशेष अदालत ने स्पष्ट किया कि बढ़ी हुई धाराओं के चलते यह केस अब वरिष्ठ न्यायालय यानी सेशन कोर्ट के अधीन आता है। 28 जुलाई 2025 से इस हाई-प्रोफाइल मामले में ट्रायल की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है।

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कौन-कौन हैं आरोपी?

इस केस में कुल 130 लोगों को आरोपित बनाया गया था, जिनमें से 8 की अब तक मृत्यु हो चुकी है। अब कोर्ट में 122 जीवित आरोपियों के खिलाफ ट्रायल चलाया जाएगा। इन आरोपितों में एक विधायक का बेटा, मेडिकल कॉलेज के छात्र, बिचौलिये, और सरकारी अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं। आरोप है कि इन सभी ने परीक्षा में फर्जीवाड़ा, दस्तावेजों की हेरफेर, और पहचान बदलकर दूसरों को एडमिशन दिलाने जैसे गंभीर अपराधों को अंजाम दिया।

व्यापम घोटाला: कब, कैसे और क्यों?

व्यापम (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) घोटाला मध्य प्रदेश के सबसे बड़े फर्जीवाड़ा मामलों में से एक है। यह मामला सबसे पहले वर्ष 2013 में झांसी रोड थाना, ग्वालियर में दर्ज हुआ था। आरोप था कि व्यापम द्वारा आयोजित विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं में बड़े स्तर पर घोटाला हुआ है। इसके तहत पैसे लेकर फर्जी अभ्यर्थियों को असली उम्मीदवारों के स्थान पर बैठाया गया, एडमिशन दिलाया गया और सरकारी नौकरियां दिलाने में घोटाले किए गए।

मामले की गंभीरता को देखते हुए 2015 में इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई। इसके बाद 2020 में सीबीआई ने पहली चार्जशीट कोर्ट में दायर की थी, जिसमें सभी आरोपियों पर संगठित फर्जीवाड़े, धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश सहित कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।

अब जब जांच पूरी हो चुकी है और सभी कानूनी प्रक्रियाओं के तहत मामला सुनवाई के लिए तैयार है, तो 28 जुलाई से सेशन कोर्ट में इस मामले की नियमित सुनवाई शुरू होगी।

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