छत्तीसगढ़ के कवर्धा में आदिवासियों की मौत की जांच के लिए जिला कलेक्टर ने तीन सदस्यीय टीम बनाई थी. इस टीम की जांच से खुलासा हुआ कि बैगा आदिवासियों की मौत डायरिया से नहीं बल्कि अन्य कारणों से हुई थी. जांच टीम में मुख्य चिकित्सा एवं कई शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी शामिल थें. हालांकि इस समय गांव में हालात सामान्य हैं.
जांच करने गई टीम ने बताया कि मौत का कारण डायरिया नहीं बल्कि जंगली मशरूम खाने से तबीयत खराब हो गई. एक की मौत तो घरेलू उपचार के कारण हो गई. जांच में पता चला कि अन्य प्रकरण में सामान्य प्रसव होने के बाद वो अपने मायके मध्य प्रदेश चली गई थी. वहीं उसकी तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई. हालांकि मौत की असली वजह पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगी.
डोर टू डोर किया जा रहा रैपिड फीवर सर्वे
जांच के दौरान स्वास्थ्य विभाग ने नए बोर में पम्प स्थापित कर पाइप लाइन को जोड़कर घरों में पानी सप्लाई करने की कार्यवाही की जा रही है. इसके साथ ही गांव में सोनवाही में स्वास्थ्य शिविर लगाकर स्वास्थ्य कर्मियों एवं मितानिनों द्वारा डोर टू डोर रैपिड फीवर सर्वे कराकर सभी संभावितों की जांच व उपचार किया जा रहा है और ग्रामीणों को स्वच्छता के प्रति भी जागरूक किया.
प्रभावित क्षेत्र में लोगो को किया जा रहा जागरूक
प्रभावित क्षेत्र में लगातार क्लोरिन लिक्विड और जिंक टैबलेट का वितरण किया जा रहा है. टीम द्वारा घर-घर जाकर लोगों को पानी उबालकर पीने, क्लोरिन को पानी में मिलाकर 20 मिनट बाद पीने तथा ओआरएस का घोल समय-समय पर पीने के लिए जागरूक किया जा रहा है. लोगो को बताया जा रहा है कि बाहर के भोजन का सेवन न करें. साफ व स्वच्छ पानी का उपयोग करें. हालांकि पानी को उबालकर पीना ज्यादा ठीक रहेगा.गंदगी वाले जगहों से बचने और साफ सफाई पर ध्यान देने के लोगों को लगातार जागरूक किया जा रहा है.