छिंदवाड़ा :19 जनवरी को अखंड भारत के वीर सपूत, महान योद्धा और अदभुत शौर्य व साहस के प्रतीक महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि मनाई गई, सभी बंधुओ ने महाराणा प्रताप के स्मारक पर आकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए, इस अवसर पर महाराणा प्रताप के इतिहास को याद किया गया और बताया की देश के इतिहास में ऐसे लोग कम ही हुए हैं,जिनमें किसी भी परिस्थिति में हार न मानने का जज्बा रहा हो.
महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के ऐसे कुछ लोगों में से एक रहे हैं। त्याग, बलिदान और स्वाभिमान के प्रतीक वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप कभी मुगलों के आगे नहीं झुके. उन्होंने अपनी मां से युद्ध कौशल सीखा था. महाराणा प्रताप का हल्दीघाटी का युद्ध बहुत खास माना जाता है.
यहां उन्होंने अकबर को अपने 20 हजार सैनिकों से टक्कर देकर पछाड़ा था. उनका संघर्ष हमेशा से युवाओं को प्रेरणा देता रहा है. दुश्मन भी उनकी युद्ध लड़ने की शैली के मुरीद थे महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 154 को कुंभलगढ़ दुर्ग (पाली) में हुआ था.
पुण्यतिथि के अवसर पर माल्यार्पण करने के दौरान समाज के अखिलेश भारद्वाज,दीपक चौहान,गोविन्द नारायण सिंह, नीलेश राजा राजपूत, सौरभ सेंगर, विजय दीक्षित, हेमंत खत्री,उमाकांत भारद्वाज,विवेक शक्रवार, मोनू ठाकुर, सुरेंद्र राजपूत, निमेष राजपूत व अन्य सदस्य उपस्थित थे.