खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले को लेकर भारत और कनाडा के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ गया है. अब इसमें अमेरिका की एंट्री भी हो गई है. अमेरिका का कहना है कि कनाडा के आरोप गंभीर हैं और भारत को उसकी जांच में सहयोग करना चाहिए.
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि हमने साफ कर दिया है कि कनाडा के आरोप बेहद गंभीर हैं और उन्हें गंभीरता से लेने की जरूरत है. हम चाहते थे कि भारत सरकार कनाडा और उसकी जांच में सहयोग करे. लेकिन भारत ने एक वैकल्पिक रास्ता चुना.
ये पहली बार नहीं है जब भारत और कनाडा के बीच तनाव पर अमेरिका ने कोई टिप्पणी की हो. पिछले साल जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने संसद में निज्जर की हत्या में भारत के शामिल होने का आरोप लगाया था तो इस पर भारत की प्रतिक्रिया पर अमेरिका ने चिंता जताई थी. उस समय भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों को वापस जाने को कह दिया था. तब भी मैथ्यू मिलर ने कहा था कि अमेरिका का मानना है कि भारत को कनाडा की जांच में सहयोग करना चाहिए.
#WATCH | "…We have made clear that the Canadian allegations are extremely serious and they need to be taken seriously and we wanted to see the Government of India cooperate with Canada and its investigation. But, India has chosen an alternate path…" says US Department of… pic.twitter.com/Eqb7JSAUon
— ANI (@ANI) October 15, 2024
भारत और कनाडा के बीच गहराया राजनयिक संकट
निज्जर हत्याकांड को लेकर भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संकट एक बार फिर गहरा गया है. कनाडाई विदेश मंत्री मेलानी जॉली ने कनाडा सरकार ने भारत से छह राजनयिकों की डिप्लोमैटिक इम्युनिटी हटाने का अनुरोध किया था, ताकि जांच एजेंसियां उनसे पूछताछ कर सके. लेकिन भारत ने ऐसा नहीं किया, इसलिए राजनयिकों को निष्कासित करना पड़ा.
जॉली ने कहा कि हम चुप नहीं बैठेंगे, क्योंकि किसी भी देश के एजेंट कनाडाई नागरिकों को धमकाने, परेशान करने और यहां तक कि हत्या करने की कोशिश कर रहे हैं.
कनाडा के इस कार्रवाई पर भारत ने भी प्रतिक्रिया देते हुए उसके छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है. भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को 19 अक्टूबर तक भारत छोड़ने को कहा है.