ट्रंप का आरोप: भारत-चीन कर रहे यूक्रेन युद्ध को फंड, सात युद्ध खत्म कराने का लिया श्रेय

संयुक्त राष्ट्र महासभा में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने भाषण के दौरान कई बड़े दावे और आरोप लगाए। ट्रंप ने भारत और चीन पर गंभीर आरोप लगाया कि ये दोनों देश रूस से तेल और गैस खरीदकर अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध को फंड कर रहे हैं। उनके मुताबिक इस व्यापार से रूस को ताकत मिल रही है और युद्ध लंबा खिंच रहा है।

ट्रंप ने अपने संबोधन में कहा कि उनके कार्यकाल में सात बड़े युद्धों को खत्म कराया गया। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका की मध्यस्थता के कारण भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव थमा, वहीं इज़राइल और ईरान के बीच 12 दिन चले संघर्ष को भी विराम मिला। ट्रंप ने कहा कि उनकी नीतियों ने कई देशों को युद्ध की तबाही से बचाया।

उन्होंने नाटो देशों पर भी हमला बोला। ट्रंप के मुताबिक नाटो सदस्य देश रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान अपने ही खिलाफ खड़े रहे क्योंकि रूस से ऊर्जा उत्पाद खरीदकर उन्होंने खुद ही उसे मजबूत किया। उन्होंने कहा कि जब तक देश अपनी ऊर्जा पर निर्भरता खत्म नहीं करेंगे, तब तक युद्ध खत्म होने की संभावना कम है।

संयुक्त राष्ट्र की कार्यप्रणाली को भी ट्रंप ने कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि संगठन का काम अक्सर सिर्फ कड़े शब्दों वाले पत्र तक सीमित रह जाता है और उसका कोई ठोस असर नहीं दिखता। ट्रंप ने तंज कसा कि दुनिया उम्मीद करती है कि संयुक्त राष्ट्र सक्रिय भूमिका निभाएगा, लेकिन वास्तविकता यह है कि इसके फैसले अक्सर जमीन पर लागू नहीं होते।

भाषण में ट्रंप ने अमेरिकी जनता के लिए अपनी उपलब्धियों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में ऊर्जा लागत कम की गई, महंगाई पर नियंत्रण पाया गया और अवैध आव्रजन पर सख्त कदम उठाए गए। ट्रंप ने दावा किया कि उनकी नीतियों ने अमेरिका को आर्थिक और रणनीतिक रूप से मजबूत बनाया।

कुल मिलाकर, ट्रंप का यह भाषण आरोपों और आत्म-प्रशंसा से भरा रहा। उन्होंने जहां भारत-चीन और नाटो देशों को कटघरे में खड़ा किया, वहीं खुद को शांति स्थापित करने वाला नेता बताया। यह भाषण वैश्विक मंच पर ट्रंप की पुरानी राजनीतिक शैली का ही विस्तार नजर आया, जिसमें वे खुद को निर्णायक और दूसरों को जिम्मेदार ठहराते हैं।

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