अमेरिका संग तनातनी के बीच ट्रंप खेमे की भारत में बढ़ती दिलचस्पी! दिल्ली दौरे पर आ रहे EU ट्रेड चीफ

टैरिफ को लेकर भारत-अमेरिका के बीच जारी तनाव के बीच, यूरोपीय संघ (ईयू) के वार्ताकार इस हफ्ते दिल्ली आ रहे हैं. भारत और ईयू के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को लेकर लंबे समय से बात चल रही है और इसे गति देने के लिए यूरोपीय अधिकारी भारत आ रहे हैं. भारत-ईयू के बीच एफटीए वार्ता का यह 13वां दौर होगा.

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सूत्रों ने बताया कि ईयू इस साल के अंत तक इस समझौते के अंतिम रूप में देखना चाहता है. अगले साल होने वाले भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन से पहले छह महीनों के दौरान ईयू और भारत के बीच ग्यारह हाई लेवल यात्राएं होने की संभावना है.

यूरोपीय संघ के ट्रेड कमिश्नर मारोस शेफोविच और एग्रीकल्चर कमिश्नर क्रिस्टोफ हैनसेन के नेतृत्व में 30 सदस्यीय हाई लेवल टीम भारत आ रही है. भारत की तरफ से इस वार्ता का नेतृत्व वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे. उनके साथ वरिष्ठ भारतीय अधिकारी भी होंगे जो वार्ता के प्रमुख मुद्दों, जैसे कि रूल्स ऑफ ओरिजिन, टैरिफ और कुछ संवेदनशील प्रोडक्ट्स के लिए मार्केट एक्सेस को सुलझाने के लिए मौजूद रहेंगे.

एक सूत्र ने बताया कि यूरोपीय संघ चीनी, चावल और डेयरी उत्पादों के मामले में भारत की संवेदनशीलता को समझता है.

दोनों पक्षों के अधिकारियों ने संकेत दिया है कि 27  नेगोशिएसन चैप्टर्स में से एक 11 चैप्टर्स पर पहले ही बात हो चुकी है और दोनों पक्ष इस पर सहमत हैं. इन चैप्टर्स में कस्टम पर सहयोग, छोटे बिजनेस को समर्थन और विवाद समाधान जैसे क्षेत्र शामिल हैं. हालांकि, एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स पर टैरिफ और निर्यात के स्रोत का निर्धारण करने के स्टैंडर्ड्स को लेकर काफी मतभेद बने हुए हैं.

FTA के जिन ग्यारह चैप्टर्स पर बात हो चुकी है, उनमें शामिल हैं-

बौद्धिक संपदा (Intellectual Property, IP)

पारदर्शिता

गुड्स रेगुलेटरी प्रैक्टिसेज

पारस्परिक प्रशासनिक सहायता

एसएमई (SMEs)

टिकाऊ खाद्य सिस्टम

विवाद का निपटान

प्रतिस्पर्धा और सब्सिडी

डिजिटल व्यापार

धोखाधड़ी विरोधी धाराएं.

सूत्र ने बताया कि 12वां अध्याय पूंजी प्रवाह यानी कैपिटल मूवमेंट पर केंद्रित है, जिसे लगभग अंतिम रूप दे दिया गया है.

यह यात्रा भारत की ट्रेड पॉलिस के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हो रही है. अमेरिका के टैरिफ ने भारत पर अतिरिक्त दबाव डाला है, जिससे उसे अन्य प्रमुख साझेदारों के साथ अपने संबंधों को और गहरा करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. यूरोपीय संघ, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 135 अरब डॉलर से अधिक के व्यापार के साथ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, इस स्ट्रैटजी में सेंट्रल फोकस के साथ उभरा है.

इस साल के अंत तक हो सकता है भारत-ईयू के बीच FTA

ईयू और भारत इस साल के अंत तक एफटीए को अंतिम रूप देने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं, जिससे 2026 की शुरुआत में भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन में इस समझौते को मंजूरी देने का मंच तैयार हो जाएगा. इसके साथ ही, यूरोपीय संघ भारत के साथ अपनी साझेदारी के लिए एक नए राजनीतिक और रणनीतिक ढांचे की शुरुआत की तैयारी कर रहा है, जो 17 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी के 75वें जन्मदिन के अवसर पर होगा.

सूत्रों ने बताया कि ईयू के वार्ताकार काउंसिल ऑफ मेंबर स्टेट्स के समक्ष पॉलिसी डॉक्यूमेंट रखेंगे और फिर उसे ‘भारत के समक्ष राजनीतिक प्रस्ताव के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, ताकि रिजल्ट्स पर बातचीत की जा सके और शिखर सम्मेलन दस्तावेज पर फैसला लिया जा सके.’ भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन अगले साल की शुरुआत में आयोजित किया जाएगा.

राजनयिक सूत्रों ने बताया कि ईयू के दोनों कमिश्नरों की यात्रा के बाद कई हाई लेवल मीटिंग्स भी होगी, जिसमें यूरोपीय संघ के दूतों, संसदीय व्यापार प्रतिनिधियों और सुरक्षा एवं आतंकवाद-निरोध पर प्रतिनिधिमंडलों की बैठकें शामिल होंगी. यह बैठकें दोनों पक्षों के बीच बढ़ते सहयोग के दायरे को दिखाती हैं.

विश्लेषकों का मानना है कि यह मौजूदा प्रयास हाल के सालों में मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप देने के सबसे गंभीर प्रयासों में से एक है. यह समझौता पहली बार 2007 में शुरू हुआ था, लेकिन टैरिफ और बाजार पहुंच पर मतभेदों के कारण कई बार रुका रहा.

भू-राजनीतिक और आर्थिक फैक्टर्स के कारण इस समझौते की तात्कालिकता बढ़ती जा रही है, इसलिए अधिकारियों का मानना है कि आने वाले हफ्ते यह तय करने में अहम होंगे कि क्या दोनों पक्ष बाकी कमियों को पाट पाएंगे.

एक सूत्र ने कहा कि यह ऐसे समय में हो रहा है जब वैश्विक आर्थिक अस्थिरता है और चीन, रूस, अमेरिका…मुद्दा बने हुए हैं. टैरिफ के मुद्दे पर सूत्र ने कहा, ‘हम थोप नहीं रहे हैं. हम वसूली के खेल में नहीं हैं. हम पॉजिटिव सम गेम यानी दोनों पक्षों को बराबर फायदा के बारे में सोचते हैं. टैरिफ युद्ध सभी के लिए जोखिम भरा है.’

सूत्र ने कहा कि यूरोपीय संघ स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने बताया कि भारत-ईयू संबंध इससे निर्धारित नहीं होते कि भारत का किसी अन्य देश के साथ क्या संबंध या विवाद है.

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