अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल भारत में होने वाले क्वाड समिट में हिस्सा लेने का अपना कार्यक्रम अचानक रद्द कर दिया है। इस कदम ने भारत और अमेरिका के बीच गहराते व्यापारिक और राजनीतिक तनाव को उजागर किया है। ट्रंप की इस निर्णय के पीछे मुख्य कारण टैरिफ विवाद और द्विपक्षीय संबंधों में खटास बताया जा रहा है।
अगस्त 2025 में ट्रंप प्रशासन ने भारत से आयात होने वाले कई उत्पादों पर 25% से अधिक टैरिफ लगाने का फैसला किया। यह कदम विशेष रूप से भारत द्वारा रूस से तेल की खरीद को लेकर उठाया गया, जिसे अमेरिका ने रूस के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों के उल्लंघन के रूप में देखा। टैरिफ के चलते भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक वार्ता भी प्रभावित हुई और कई योजनाबद्ध बातचीत रद्द हो गई।
ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हाल के महीनों में मतभेद बढ़े हैं। मई में भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को लेकर ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने मध्यस्थता की थी, जबकि भारत ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद जून में हुई एक कॉल में ट्रंप ने कहा कि उन्हें नोबेल पुरस्कार मिल सकता है और मोदी से समर्थन की उम्मीद जताई, जिसे प्रधानमंत्री ने ठुकरा दिया। इन घटनाओं ने दोनों नेताओं के बीच दूरी और बढ़ा दी।
क्वाड समिट, जिसमें भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, एक रणनीतिक मंच है। ट्रंप की भारत यात्रा रद्द होने से समिट पर भी असर पड़ सकता है। यह न केवल द्विपक्षीय संबंधों में तनाव बढ़ाता है बल्कि क्षेत्रीय सहयोग और सामरिक बैठकों में बाधा भी उत्पन्न करता है।
इन घटनाओं के बीच भारत ने वैकल्पिक कदम भी उठाए हैं। प्रधानमंत्री मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में भाग लेने चीन की यात्रा पर जा रहे हैं। इस दौरान वे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात करेंगे। यह संकेत देता है कि भारत अपनी रणनीतिक प्राथमिकताओं के अनुसार वैकल्पिक विकल्पों की ओर अग्रसर है।
ट्रंप का भारत दौरा रद्द करना केवल एक डिप्लोमैटिक फैसला नहीं है, बल्कि यह बढ़ते व्यापारिक और राजनीतिक तनाव का नतीजा है। यह दोनों देशों के बदलते संबंधों और नई रणनीतिक परिस्थितियों को दर्शाता है।