ट्रंप ने पुतिन और जेलेंस्की से की फोन पर बात, रूसी राष्ट्रपति बोले– समझौते की सूरत में सीजफायर संभव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन संकट को लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से फोन पर बातचीत की. पुतिन ने बातचीत को खुला और उपयोगी बताया. उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यावहारिक समझौता बनता है, तो रूस सीजफायर के लिए तैयार है. ट्रंप की इस पहल को संभावित शांति प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. बता दें, पुतिन से बात करने से पहले ट्रंप ने जेलेंस्की से भी फोन पर बात की थी.

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इतना ही नहीं पुतिन ने ट्रंप को रूस-यूक्रेन के बीच सीधी बातचीत फिर से शुरू कराने के लिए अमेरिकी समर्थन का धन्यवाद भी दिया. साथ ही पुतिन ने यह भी स्पष्ट किया कि रूस अब एक संभावित शांति समझौते के मसौदे पर काम करने के लिए तैयार है. इस मसौदे में शांति स्थापना के तरीके, युद्धविराम की शर्तें और समयसीमा तय की जाएगी. दरअसल, पुतिन का मानना है कि समझौते के बाद ही सीजफायर संभव हो सकता है.

हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं- पुतिन

इस 2 घंटे की बातचीत के बाद पुतिन ने कहा कि सीधी बातचीत की प्रक्रिया को देखकर कहा जा सकता है कि हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं. रूस का रुख हमेशा से स्पष्ट रहा है. हम इस संकट की जड़ को समाप्त करना चाहते हैं, बस यह तय करना है कि शांति की दिशा में सबसे प्रभावी रास्ता कौन-सा होगा.

कल रूस पर लगेंगे प्रतिबंध

इस ताजा बातचीत के कुछ ही दिन पहले 16 मई को तुर्की के इस्तांबुल में रूस और यूक्रेन के बीच आमने-सामने की शांति वार्ता आयोजित की गई थी, जिसमें यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भाग लिया, लेकिन पुतिन ने दूरी बनाए रखी. पुतिन की इस अनुपस्थिति को लेकर पश्चिमी देशों खासकर यूरोपीय संघ ने कड़ा रुख अपनाया है.

जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ट्ज ने 16 मई को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा था कि जेलेंस्की का इस्तांबुल दौरा सद्भावना का बड़ा संदेश था. लेकिन पुतिन ने हिस्सा नहीं लिया और खुद को गलत साबित किया. हम मंगलवार को ब्रसेल्स में रूस पर नए प्रतिबंधों की घोषणा करेंगे. बताया जा रहा है कि ये प्रतिबंध ऊर्जा, बैंकिंग और हथियारों से जुड़े रूसी संस्थानों को निशाना बनाएंगे.

यूरोपीय देशों को पुतिन पर शक

यूरोपीय देशों और यूक्रेन की ओर से रूस पर तत्काल, बिना शर्त के 30 दिन का सीजफायर लागू करने का दबाव है, लेकिन मास्को अभी किसी भी निर्णय को मसौदे के जरिए स्पष्ट करना चाहता है. वहीं, यूरोपीय देशों का मानना है कि पुतिन की शांति की बात एक रणनीतिक चाल है, जिससे वह जमीन पर कब्जा बनाए रख सकें.

यूरोपीय नेताओं को आशंका है कि ट्रंप और पुतिन मिलकर यूक्रेन पर एक ऐसा शांति ईसमझौता थोप सकते हैं जिसमें रूस को कब्जा की गई लगभग 20% यूक्रेनी जमीन मिल जाए और यूक्रेन को भविष्य में किसी सुरक्षा गारंटी के बिना रहना पड़े. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन और पश्चिमी देश लगातार पुतिन के आक्रमण को एक साम्राज्यवादी विस्तारवाद बताते आए हैं, जिससे NATO को भी खतरा बताया गया है.

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