भारत पर टैरिफ को बताया यूक्रेन शांति के लिए जरूरी, अदालत में ट्रंप टीम की दलील

अमेरिका और भारत के बीच चल रहे टैरिफ विवाद ने अब अंतरराष्ट्रीय राजनीति को भी अपनी गिरफ्त में ले लिया है। अमेरिका की ट्रंप प्रशासन टीम ने अदालत में यह दलील दी है कि भारत पर लगाया गया 50% आयात शुल्क न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है बल्कि इसका सीधा संबंध वैश्विक शांति, खासकर यूक्रेन संकट से भी है।

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ट्रंप प्रशासन की ओर से कहा गया कि भारत जैसे बड़े बाजार पर ऊंचा टैरिफ लगाने से अमेरिका को आर्थिक मजबूती मिलेगी और इस ताकत का उपयोग यूक्रेन में चल रहे युद्ध जैसे हालात को सुलझाने के लिए किया जा सकेगा। उनका तर्क है कि रूस पर दबाव बनाने और यूरोप की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका को मजबूत वित्तीय स्थिति की आवश्यकता है।

अदालत में पेश दलील में यह भी कहा गया कि भारत जैसे देशों को अमेरिकी बाजार से आर्थिक लाभ उठाने देना, बिना उचित टैरिफ के, अमेरिका के लिए घाटे का सौदा होगा। टीम ट्रंप ने तर्क दिया कि “टैरिफ टेरर” कहे जा रहे इन फैसलों का उद्देश्य किसी देश को नुकसान पहुंचाना नहीं बल्कि अमेरिका की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करना है।

भारत पर लगाए गए 50% आयात शुल्क ने दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों में तनाव पैदा कर दिया है। भारतीय कंपनियों और उद्योगों पर इसका सीधा असर पड़ा है, खासकर टेक्सटाइल, स्टील और आईटी सेक्टर पर। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे न केवल भारतीय निर्यातकों को झटका लगेगा बल्कि अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए भी दाम बढ़ सकते हैं।

इस पूरे मामले पर भारत ने पहले ही कड़ी प्रतिक्रिया दी है और विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का हवाला देते हुए इसे अनुचित बताया है। भारत का कहना है कि इतने ऊंचे टैरिफ से निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा खत्म होगी और वैश्विक व्यापार संतुलन बिगड़ेगा।

हालांकि ट्रंप प्रशासन इस बात पर अडिग है कि यह कदम अमेरिका की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है। अदालत में दिए गए उनके बयान ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि आर्थिक फैसलों को अब वैश्विक राजनीति और सुरक्षा रणनीति से अलग करके नहीं देखा जा सकता।

भारत और अमेरिका के बीच यह टैरिफ विवाद आने वाले समय में और गहराने की आशंका है। अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि अदालत इस मामले में क्या रुख अपनाती है और क्या यह विवाद दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्तों को प्रभावित करेगा।

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