भारत के आगे झुकेंगे ट्रंप, नवंबर तक अमेरिका हटाएगा जुर्माने वाला 25 परसेंट टैरिफ! जानें किसने किया दावा

अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ में जल्द राहत मिल सकती है. मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने बृहस्पतिवार को उम्मीद जताई कि ऊंचे टैरिफ को लेकर अमेरिका के साथ पैदा हुए विवाद का समाधान अगले आठ से दस सप्ताह में निकल सकता है. अमेरिका ने रूस से तेल खरीद को लेकर 27 अगस्त से भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया था. इसके साथ ही भारतीय उत्पादों पर अमेरिका में कुल टैरिफ बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया है.

पर्दे के पीछे जारी है बातचीत- वी अनंत नागेश्वरन 
नागेश्वरन ने  उद्योग मंडल की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘पर्दे के पीछे दोनों सरकारों के बीच टैरिफ विवाद को लेकर बातचीत जारी है. मेरा अनुमान है कि भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ का अगले आठ से दस सप्ताह में समाधान निकल आएगा.’ उन्होंने आगे कहा-‘मेरा मानना ​​है कि दंडात्मक शुल्क 30 नवंबर के बाद लागू नहीं होंगे.’ हालांकि, उन्होंने इस बात को लेकर आगाह किया कि टैरिफ जारी रहने की स्थिति में अमेरिका को भारतीय चीजों के निर्यात में गिरावट आ सकती है.

टैरिफ के चलते दोनों देशों के संबंधों में आई खटास 
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वृद्धि फैसले के बाद दोनों देशों के संबंध कुछ समय के लिए तनावपूर्ण हो गए थे. हालांकि, शीर्ष नेतृत्व के स्तर पर अनुकूल संकेत मिलने के बाद हाल ही में दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को लेकर चर्चा फिर शुरू हुई है. मुख्य आर्थिक सलाहकार ने भारत को निम्न-मध्य आय वाली आकांक्षी अर्थव्यवस्था बताते हुए कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ा. कोविड महामारी के बाद भारत ने कई देशों की तुलना में तेज वृद्धि दर्ज की है. उन्होंने कहा कि विनिर्माण, सेवा और कृषि क्षेत्रों की प्रगति के साथ ग्रामीण मांग में मजबूती और शहरी मांग में सुधार अगले दो वर्षों में आर्थिक वृद्धि को आधार देंगे.

जीएसटी दरों में राहत पर क्या बोले नागेश्वरन?
नागेश्वरन ने कहा कि हाल में जीएसटी दरों में दी गई राहत से उपभोक्ताओं के हाथ में अतिरिक्त आय बढ़ेगी. एमएसएमई क्षेत्र को ऋण में वृद्धि हुई है और बड़ी उद्योग इकाइयों को कर्ज वितरण में संरचनात्मक बदलाव आ रहा है. उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में चालू खाते का घाटा जीडीपी का 0.2 प्रतिशत रह गया और विदेशी मुद्रा भंडार भी स्वस्थ है. उन्होंने कहा, ‘हालांकि, डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है लेकिन अर्थव्यवस्था की मजबूती को देखते हुए मुझे यकीन है कि दीर्घावधि में रुपया अपने मूल्य को बनाए रखेगा और उसमें मजबूती भी आएगी.’

नागेश्वरन ने कहा कि सरकार की प्राथमिकताओं में पूंजीगत खर्च, निजी निवेश को प्रोत्साहन और विनियामक ढांचे में सुधार शामिल हैं. उन्होंने निजी क्षेत्र से नवाचार और शोध पर अधिक खर्च करने का आह्वान किया.अर्थव्यवस्था पर AI के प्रभाव पर उन्होंने कहा कि इसका असर फिलहाल सीमित है लेकिन कोडिंग संबंधी नौकरियों पर दबाव रहेगा. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में लोगों को अपना कौशल बढ़ाना होगा.

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