Trump Tariff on Steel: ट्रंप का नया वॉर… इन चीजों पर लगाया 50% टैरिफ, समझ‍िए भारत पर क्‍या होगा असर

डोनाल्‍ड ट्रंप ने स्‍टील सेक्‍टर पर एक और वॉर कर दिया है. अमेरिकी आयात शुल्‍क को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया है यानी अब इस्‍पात आयात (Steel Import) पर टैरिफ 50% लगेगा. ट्रंप का मानना है कि इस नए नियम से अमेरिका इस्पात को नया बल मिलेगा. पेंसिल्वेनिया में यूएस स्टील के मोन वैली वर्क्स-इरविन प्लांट में बोलते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि टैरिफ में इस बढ़ोतरी से घरेलू इस्पात के कारोबार में मजबूती आएगी.

Advertisement

यह नया टैरिफ बुधवार से लागू कर दिया जाएगा. स्‍टील के अलावा एल्युमीनियम टैरिफ में भी इसी तरह की बढ़ोतरी होने वाली है. यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब जनवरी में ट्रंप के सत्ता में वापस आने के बाद से घरेलू स्‍टील की कीमतों में 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. वाणिज्‍य विभाग के अनुसार, मार्च में US में स्‍टील की कीमत 984 डॉलर प्रति मीट्रिक टन थी, जो यूरोप के 690 डॉलर और चीन के 392 डॉलर प्रति मीट्रिक टन से कहीं ज्‍यादा थी.

भारत पर इन देशों की टिकी नजर
टैरिफ बढ़ोतरी वैश्विक व्यापार गतिशीलता को हिलाकर रख देने वाली है. यूरोपीय संघ, चीन और ब्राजील जैसे प्रमुख उत्पादकों से स्टील और एल्युमीनियम निर्यात, जो अब अमेरिकी बाजार से काफी हद तक बाहर हो चुके हैं, के भारत सहित वैकल्पिक रास्‍तों की तलाश करेंगे. विश्लेषकों ने इस बढ़ते जोखिम की चेतावनी दी है कि भारत, जो पहले से ही वैश्विक अतिक्षमता से जूझ रहा है, सस्ते स्टील की डंपिंग में वृद्धि का सामना कर सकता है. इससे घरेलू कीमतें और मार्जिन कम हो सकते हैं.

भारत पर क्‍या होगा असर?
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की एक रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा स्टील और एल्युमीनियम आयात पर टैरिफ दोगुना करने के फैसले से भारत के 4.56 बिलियन अमेरिकी डॉलर के धातु निर्यात पर असर पड़ने वाला है. वित्त वर्ष 2025 में भारत ने अमेरिका को 4.56 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के लौह, इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादों का निर्यात किया.

इसमें लोहा और इस्पात में 587.5 मिलियन अमरीकी डॉलर, लोहे या इस्पात के लेखों में 3.1 बिलियन अमरीकी डॉलर और एल्युमीनियम और संबंधित लेखों में 860 मिलियन अमरीकी डॉलर शामिल थे. टैरिफ ज्‍यादा बढ़ने से भारत के लिए मार्केट में बने रहना चुनौतिपूर्ण हो सकता है.

इन कंपनियों पर होगा ज्‍यादा असर
भारत पर इसके मिले-जुले संकेत दिख रहे हैं क्योंकि तकनीकी संकेत शॉर्ट टर्म तेजी की ओर इशारा कर रहे हैं, जबकि बुनियादी दबाव मंडरा रहा है. Tata Steel ने सप्‍ताहिक चार्ट पर 70.19 के आरएसआई के साथ गिरती हुई ट्रेंडलाइन को तोड़ा, जिससे ₹157.50 के लक्ष्य के साथ ₹150.90 पर खरीदारी की सलाह दी गई. यूरोपीय बाजार की कमजोरी और हाई कोकिंग कोल कॉस्‍ट के कारण इसका प्रॉफिट Q4 FY25 5.61% गिरा.

इसके विपरीत, JSW स्टील ने लागत अनुकूलन और मजबूत EBITDA मार्जिन की मदद से शुद्ध लाभ में 15.7% की साल-दर-साल वृद्धि दर्ज की, जो ₹1,503 करोड़ थी, हालांकि इसका 12.43% वार्षिक रिटर्न निफ्टी मेटल इंडेक्स के 84.37% से पीछे है, जो कर्ज और पूंजीगत व्यय से संबंधित सावधानी को दर्शाता है. अप्रैल में 18% स्टॉक गिरावट से जूझ रही सेल ने मांग में वृद्धि की उम्मीद में मई में 13.6% की रिकवरी की और वैश्विक कीमतें 47,000 रुपए प्रति टन से नीचे आने के कारण एंटी-डंपिंग उपायों का आग्रह किया.

शेयर बाजार पर क्‍या होगा असर
अप्रैल में 8% की गिरावट दर्ज करने वाला निफ्टी मेटल इंडेक्स, अमेरिकी टैरिफ निलंबन के बाद 4.78% उछल गया था. वेदांता (पी/ई 12.57) जैसे स्टॉक सेक्टर औसत से नीचे कारोबार कर रहे हैं, जबकि हिंदुस्तान जिंक की 6.33% डिविडेंड उपज निगेटिव ROE की वजह से है. शॉर्ट टर्म के लिए, जिंदल स्टील एंड पावर ₹1,008 तक ब्रेकआउट क्षमता दिखाता है, और टाटा स्टील तकनीकी रूप से मजबूत बनी हुई है. ऐसे में इस टैरिफ के लागू होने से इस सेक्‍टर में गिरावट दिख सकती है.

जापान की स्‍टील कंपनी के साथ डील
ट्रंप का टैरिफ फैसला US स्‍टील निप्‍प्‍पॉन स्‍टील विवाद में एक बड़े के साथ हुई है. प्रतिष्ठित स्‍टील निर्माता के विदेशी स्‍वामित्‍व का लंबे समय तक विरोध करने के बाद ट्रंप ने पिछले हफ्ते अपना रुख बदल दिया और अब जापान की निप्‍पॉन स्‍टील के साथ डील की है. हालांकि अभी भी डील को लेकर चीजें स्‍पष्‍ट नहीं हो पाई हैं. ट्रंप ने प्‍लांट के कर्मचारियों से कहा कि यह फेमस अमेरिकी कंपनी हमेशा अमेरिकी कंपनी ही रहेगी. आप एक अमेरिकी कंपनी ही रहेंगी, यह आप जानते हैं न?

संघीय और राज्य अधिकारियों का कहना है कि इस समझौते में निप्पॉन द्वारा यूएस स्टील का अधिग्रहण करना और पांच राज्यों – पेनसिल्वेनिया, इंडियाना, अलबामा, अर्कांसस और मिनेसोटा – में सुविधाओं में अरबों डॉलर के निवेश का वचन देना शामिल है. इसमें एक अमेरिकी नेतृत्व टीम और बोर्ड होगा, जिसमें एक “गोल्डन शेयर” तंत्र होगा, जो वाशिंगटन को प्रमुख निर्णयों पर वीटो का अधिकार देगा.

Advertisements