फार्मा एक्सपोर्ट पर अमेरिका ने 100 फीसदी टैरिफ का ऐलान कर दिया है, जो 1 अक्टूबर से प्रभावी होगा. इस बीच भारत के फार्मा उद्योग के प्रमुखों ने कहा है थ्क भातर लंबे समय से फार्मा इंडस्ट्री में टॉपर रहा है. ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 100 फीसदी टैरिफ का भारत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. उनका कहना है कि भारत को अभी भी अपनी लागत-कुशल रणनीति पर फोकस रहना चाहिए.
फार्मा एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (Pharmexcil) ने कहा है कि दवाओं पर 100 प्रतिशत टैरिफ का भारत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. दरअसल, भारतीय जेनेरिक उत्पाद अमेरिका के लिए लागत-बचत का एक अवसर हैं, जिससे उसे भारतीय जेनेरिक आयात से सालाना लगभग 200 अरब डॉलर की बचत होती है.
फार्मेक्सिल ने कहा कि अमेरिका पिछले 10 सालों से जेनेरिक दवाओं पर लागत-बचत का लाभ उठा रहा है और वहां पर पहले से ही कई बड़ी भारतीय कंपनियों की यूनिट्स पहले से ही हैं और ट्रंप ने कहा है कि जिनके प्लांट अमेरिका में 1 अक्टूबर तक नहीं होंगे उनपर टैरिफ लगाए जाएंगे. ऐसे में भारत पर इसका ज्यादा असर नहीं दिखता है.
अमेरिका को 47 फीसदी दवा एक्सपोर्ट करता है भारत
काउंसिल ने कहा कि उसे उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2026 में अमेरिका को भारतीय एक्सपोर्ट में सालाना 10 से 11 फीसदी का ग्रोथ होगा. फार्मेक्सिल के अध्यक्ष नमित जोशी ने कहा कि भारत अमेरिका की लगभग 47 प्रतिशत दवा आवश्यकताओं की आपूर्ति करता है, खासकर जेनेरिक दवा बाजार में. भारतीय दवा कंपनियां जीवन रक्षक ऑन्कोलॉजी दवाओं और एंटीबायोटिक दवाओं से लेकर पुरानी बीमारियों के इलाज तक की आपूर्ति करती हैं.
अमेरिका में भारत की ज्यादातर फार्मा यूनिट्स पहले से
जोशी ने कहा कि टैरिफ का ‘भारतीय निर्यात पर तत्काल प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है, क्योंकि हमारा बड़ा योगदान साधारण जेनेरिक दवाओं में है और ज्यादातर बड़ी भारतीय कंपनियां पहले से ही अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग या रीपैकेजिंग यूनिट्स चला रही हैं और आगे अधिग्रहण की संभावनाएं तलाश रही हैं.’ उन्होंने फिर भी आगाह किया कि भारत को भविष्य में नीतिगत बदलावों के लिए तैयार रहना चाहिए.
भारत को क्या करना चाहिए
उन्होंने कहा कि आगे की ओर देखते हुए, भारत को थोक दवाओं और एपीआई में अपनी लागत-दक्षता लाभ पक्का करने की आवश्यकता है. अमेरिका के साथ-साथ भारत को अन्य अवसरों की भी तलाश करनी चाहिए.
जेनेरिक दवाओं पर कोई असर नहीं
भारतीय फार्मास्युटिकल एलायंस के महासचिव सुदर्शन जैन ने यह भी कहा कि कार्यकारी आदेश केवल अमेरिका को आपूर्ति किए जाने वाले पेटेंट या ब्रांडेड उत्पादों को संदर्भित करता है और इसका जेनेरिक दवाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, जिनका भारत मुख्य रूप से निर्यात करता है.
एनटोड फार्मास्युटिकल्स के सीईओ निखिल के. मसुरकर ने कहा कि भारत की ताकत अमेरिकी बाजार में पेटेंट या ब्रांडेड दवाओं की बजाय किफायती जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति करने में है. जेनेरिक दवाएं, जो भारत के दवा निर्यात का बड़ा हिस्सा हैं, अभी तक इनको शुल्कों से बाहर रखा गया है, इसलिए अमेरिका को भारतीय निर्यात अप्रभावित रहेगा.
ट्रंप ने क्या आदेश दिया है?
मंगलवार को ट्रंप ने कहा कि अमेरिका 1 अक्टूबर, 2025 से सभी ब्रांडेड या पेटेंटेड दवा आयातों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा. यह टैरिफ तब तक लागू रहेगा जब तक निर्यातक कंपनी अमेरिका में सक्रिय रूप से मैन्युफैक्चरिंग यूनिट का निर्माण नहीं कर रही हो. ट्रंप ने स्पष्ट किया कि ‘सक्रिय रूप से निर्माण’ का मतलब प्लांट का निर्माण कार्य शुरू हो चुका हो या निर्माणाधीन हो.