भले ही रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने आम लोगों को लोन ईएमआई में राहत ना दी हो, लेकिन महंगाई के मोर्चे पर आम लोगों को जरूर राहत दी है. वहीं दूसरी ओर महंगाई पर आरबीआई ने जो स्टांस लिया है, उसका मतलब है कि ट्रंप की टैरिफ धमकी का भारत की महंगाई पर कोई असर देखने को नहीं मिलेगा. आरबीआई एमपीसी ने मौजूदा वित्त वर्ष महंगाई अनुमान को 60 बेसिस प्वाइंट्स कम कर दिया है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने बुधवार को कहा कि वित्त वर्ष 2026 की अंतिम तिमाही में महंगाई बढ़ने का अनुमान है, क्योंकि खाद्य पदार्थों, विशेषकर सब्जियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव बना हुआ है. हालांकि, चालू वित्त वर्ष में ओवरऑल महंगाई कम रहने की उम्मीद है, जिसे कीमतों में कमी और स्थिर सप्लाई स्थितियों का समर्थन प्राप्त है. RBI ने कहा कि हालांकि भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं कम हुई हैं, लेकिन आने वाले टैरिफ से चिह्नित ग्लोबल ट्रेड का दबाव बना हुआ है.
वित्त वर्ष के लिए महंगाई का अनुमान कम
वित्त वर्ष 2026 के पूरे वर्ष के लिए, RBI ने कोर महंगाई 3.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जो जून में किए गए 3.70 फीसदी के पूर्वानुमान से कम है. हालांकि, वित्त वर्ष 27 की पहली तिमाही में CPI 4.9 फीसदी रहने की उम्मीद है, जो शीर्ष बैंक के 4 फीसदी के लक्ष्य को पार कर जाएगा. तिमाही-वार अनुमान की बात करें तो दूसरी तिमाही में 2.1 फीसदी, तीसरी तिमाही में 3.1 फीसदी और चौथी तिमाही में 4.4 फीसदी है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि भविष्य के लिए जोखिम “समान रूप से संतुलित” हैं. आरबीआई एमपीसी ने यह भी कहा कि कोर महंगाई 4 फीसदी पर स्थिर बनी हुई है.
आरबीआई ने आगे कहा कि 2025-26 के लिए महंगाई का पूर्वानुमान जून में अपेक्षा से अधिक सॉफ्ट हो गया है. दक्षिण-पश्चिम मानसून की स्थिर प्रगति, अच्छी खरीफ बुवाई, पर्याप्त जलाशय स्तर और खाद्यान्नों के पर्याप्त बफर स्टॉक के साथ बड़े अनुकूल आधार प्रभावों ने इस नरमी में योगदान दिया है. हालांकि, प्रतिकूल आधार प्रभावों और नीतिगत कार्रवाइयों से उत्पन्न मांग संबंधी कारकों के प्रभाव में आने के कारण, सीपीआई महंगाई 2025-26 की चौथी तिमाही और उसके बाद 4 फीसदी से ऊपर जाने की संभावना है.
कोर महंगाई स्थिर, लेकिन सोने की कीमतों में तेज़ी
एमपीसी ने कहा कि हाल के महीनों में कोर महंगाई 4% पर स्थिर रही. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अपने संबोधन में कहा कि फरवरी-मई के दौरान 4.1-4.2 फीसदी के सीमित दायरे में रहने वाली कोर महंगाई जून में बढ़कर 4.4 फीसदी हो गई, जिसकी एक वजह सोने की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी भी रही.
पॉलिसी रेट में कोई बदलाव नहीं
जून में भारत में खुदरा महंगाई घटकर 2.10 फीसदी रह गई, जो 77 महीनों का निचला स्तर है, जिसका मुख्य कारण खाद्य कीमतों में भारी गिरावट रही. खाद्य महंगाई में भी गिरावट दर्ज की गई. इस नरमी के बावजूद, आरबीआई ने वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और अस्थिर व्यापार स्थितियों के बीच विकास को सहारा देने की आवश्यकता का हवाला देते हुए नीतिगत रेपो दर को 5.50 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया.
आरबीआई गवर्नर के अनुसार एमपीसी ने कहा कि हालांकि सीपीआई महंगाई पहले के अनुमान से काफी कम है, लेकिन यह मुख्य रूप से अस्थिर खाद्य कीमतों के कारण है. इस वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही से महंगाई में वृद्धि का अनुमान है. हमारे पहले के अनुमानों के अनुसार, ग्रोथ रेट मजबूत है. टैरिफ की अनिश्चितताएं अभी भी उभर रही हैं. केंद्रीय बैंक ने “न्यूट्रल” स्टांस बनाए रखा है, जिससे संकेत मिलता है कि नीतिगत समर्थन तब तक जारी रहेगा जब तक सुधार में मदद की ज़रूरत होगी. आरबीआई ने पहले कहा था कि वह पर्याप्त लोन उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, विशेष रूप से उत्पादक क्षेत्रों के लिए, तरलता का प्रबंधन जारी रखेगा.
कच्चे तेल पर RBI का रुख
अपने जुलाई बुलेटिन में, आरबीआई ने इस बात पर ज़ोर दिया था कि ग्लोबल क्रूड ऑयल की कीमतों में 10 फीसदी की वृद्धि भारत की मुख्य महंगाई को लगभग 20 आधार अंकों तक बढ़ा सकती है. उसने कहा कि देश की तेल आयात पर उच्च निर्भरता के कारण न केवल घरेलू कीमतों पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करना आवश्यक है, बल्कि लॉन्गटर्म स्टेबिलिटी के लिए ऑप्शनल ईंधनों की ओर रुख करना भी आवश्यक है. वित्त वर्ष 2025 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में, आरबीआई ने यह भी संकेत दिया था कि वित्त वर्ष 2026 में महंगाई मध्यम रहेगी, जिसे आधार प्रभावों और आपूर्ति पक्ष के दबावों में कमी से मदद मिलेगी, जबकि मानसून के परिणामों और वैश्विक भू-राजनीतिक जोखिमों के प्रति भी वह संवेदनशील बना रहेगा.