जब कोई प्लेन हवा में होता है तो उसमें कई बार टर्बुलेंस आती है. यूं तो ये आम बात होती है लेकिन कई बार ये काफी भयानक भी हो जाती है. इतना की प्लेन के अंदर बैठे यात्रियों की हालत खराब हो जाती है. एक ऐसा ही नजारा देखने को मिला इंडिगो की जोधपुर से जयपुर की फ्लाइट में. यहां यात्री बीच हवा में रोने लगे. ये मामला इंडिगो की जोधपुर से जयपुर फ्लाइट 6E-7406 का है.
जानकारी के मुताबिक, खराब मौसम के चलते फ्लाइट लैंड नहीं कर पा रही थी. जयपुर एयरपोर्ट पर फ्लाइट लैंडिग में दिक्कत आ रही थी. ऐसे में करीब 30 मिनट से ज्यादा समय तक विमान हवा में चक्कर लगाता रहा. इस दौरान प्लेन में बैठे यात्री काफी डर गए. विमान में टर्बुलेंस होने पर यात्री घबरा गए. एयर टर्बुलेंस होने पर कुछ यात्री रोने लग गए. फ्लाइट में मौजूद यात्रियों ने दावा किया कि विमान में ऐसा टर्बुलेंस पहले कभी नहीं देखा. विमान के आसमान में हिचकोले खाने से यात्री घबरा गए थे.
खुल गए थे ऑक्सीजन बैग
कहा जा रहा है की टर्बुलेंस इतना तेज था की यात्रियों के ऑक्सीजन बैग भी खुलकर नीचे आ गए. हालांकि, जब जयपुर एयरपोर्ट पर विमान की सुरक्षित लैंडिंग हुई, तब जाकर यात्रियों की जान में जान आई. फ्लाइट में मौजूद यात्रियों ने दावा किया की उन्होंने विमान में ऐसा टर्बुलेंस पहले कभी नहीं देखा. वहीं, ये फ्लाइट अपने निर्धारित समय से पांच घंटे बाद भी टेक ऑफ नहीं हो सकी. इंडिगो की फ्लाइट 6E-7406 को सुबह 11:05 बजे जोधपुर से उड़ान भरकर 1 घंटे 15 मिनट बाद दोपहर 12:20 पर जयपुर पहुंचना था. लेकिन, खराब मौसम की वजह से विमान ने दोपहर 12:02 बजे जोधपुर से उड़ान भरी. विमान दोपहर 1:42 बजे जयपुर एयरपोर्ट पर लैंड हआ. इस दौरान फ्लाइट 25 मिनट तक जयपुर के आसमान में चक्कर काटती रही.
क्यों होती है एयर टर्बुलेंस?
टर्बुलेंस असल में एक अस्थिर हवा होती है जिसकी गति और भार का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. ज्यादातर लोग समझते हैं कि ऐसा खराब मौसम या तूफान में ही होता है लेकिन आपको हैरानी होगी ये जानकर की सबसे ज्यादा खतरनाक टर्बुलेंस तब होता है जब मौसम साफ हो और सामने आसमान में किसी तरह का खतरा या संकेत नजर ना आ रहा हो. साफ हवा में टर्बुलेंस अक्सर ज्यादा ऊंचाई पर मौजूद हवा की धाराओं में होता है, जिन्हें जेट स्ट्रीम कहते हैं. ऐसा तब होता है जब हवा की दो धाराएं एक दूसरे के आस-पास अलग-अलग रफ्तार से बहती हैं. अगर रफ्तार में अंतर बहुत ज्यादा हो तो वातावरण इसका दबाव संभाल नहीं पाता और हवा की धाराएं दो हिस्सों में बंट जाती हैं.