दिल्ली में होने जा रही 35वीं सब जूनियर बालक-बालिका राष्ट्रीय कबड्डी प्रतियोगिता से पहले छत्तीसगढ़ में खेल संघों की खींचतान खुलकर सामने आई है। इसका खामियाजा अब सीधे खिलाड़ियों को भुगतना पड़ रहा है। दरअसल, राज्य में कबड्डी को लेकर दो संघों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। एक संघ खिलाड़ियों को ट्रायल देने की अनुमति दे रहा है।
वहीं दूसरा संघ खिलाड़ियों को धमकी दे रहा है कि यदि वे ट्रायल में शामिल हुए तो उन्हें सीधे निलंबित कर दिया जाएगा। ट्रॉयल में हिस्सा लेने से खिलाड़ियों को रोकने वाले सचिव का तर्क ये है कि खिलाड़ी अनुशासन में रहे इसलिए ऐसा आदेश जारी किया है। आजकल खिलाड़ी पैसे के लिए भागा दौड़ी कर रहे हैं। पैसे वाले टूर्नामेंट खेलते हैं, फेडरेशन में खेलना पसंद नहीं कर रहे हैं।
जानिए क्या है पूरा मामला ?
दिल्ली में 4 से 8 अक्टूबर तक राष्ट्रीय कबड्डी प्रतियोगिता होगी। इसके लिए एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ छत्तीसगढ़ ने बालिका टीम चयन के लिए 31 अगस्त को भिलाई के शासकीय स्कूल जोन-2, खुर्सीपार में ट्रॉयल का आयोजन रखा था। इसकी जानकारी संघ ने लेटरपैड से जारी की। लेकिन इसके बाद दुर्ग ग्रामीण कबड्डी संघ जिला दुर्ग के सचिव ने बिना लेटरपैड के वॉट्सऐप पर मैसेज जारी किया।
इसमें उन्होंने खिलाड़ियों को धमकी दी। कहा कि अगर इस फेडरेशन में कोई भी खिलाड़ी/टीम भाग हिस्सा लेता है, तो उसे छत्तीसगढ़ कबड्डी संघ और दुर्ग जिला कबड्डी संघ के किसी भी फेडरेशन गेम या किसी भी कबड्डी प्रतियोगिता में भाग लेने नहीं दिया जाएगा। निलंबित किया जाएगा। इस मैसेज के बाद कई बालिका खिलाड़ी असमंजस में जिले के करीब 300 से ज्यादा खिलाड़ी ट्रॉयल देने नहीं पहुंचे।
अध्यक्ष-सचिव को भी मैसेज- खिलाड़ियों को हिस्सा लेने से रोकें
इसके बाद एक मैसेज सभी जिले के अध्यक्ष और सचिव को छत्तीसगढ़ कबड्डी संघ के महासचिव के नाम से वॉट्सऐप पर भेजा गया। जिसमें कहा गया कि, सभी अपने इकाई के पंजीकृत खिलाड़ियों को सूचना दे दें कि वे इस प्रतियोगिता में भाग लेते हैं, तो उन्हें छत्तीसगढ़ कबड्डी संघ के राज्य कबड्डी चैम्पियनशिप और उससे अनुमति प्राप्त प्रतियोगिता में हिस्सा लेने नहीं दिया जाएगा। उन्हें निलंबित किया जाएगा।
7 सितंबर को बालक वर्ग का ट्रॉयल, असमंजस में खिलाड़ी
बालिका वर्ग के ट्रॉयल में धमकी भरे मैसेज के बाद ज्यादातर खिलाड़ियों ने हिस्सा नहीं लिया। अब 7 सितंबर रविवार को इसी नेशनल टूर्नामेंट के लिए बालक वर्ग का ट्रॉयल रखा गया है। ऐसे में खिलाड़ियों को इसका डर सता रहा है कि कहीं हम इस ट्रॉयल में हिस्सा लेंगे तो कहीं हमारा आगे खेल प्रभावित न हो।
2021 में भी निकाला था बेतुका आदेश
दरअसल, खेल संघ की लड़ाई लंबे समय से चल रही है। इसकी वजह से सबसे ज्यादा नुकसान खिलाड़ियों को हो रहा है। साल 2021 में भी दुर्ग ग्रामीण कबड्डी संघ जिला दुर्ग के सचिव ने आदेश निकालकर शहरी खिलाड़ियों को प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से रोक दिया था।
इतना ही एक क्लब की संबद्धता भी रद्द कर दी थी। इसके पीछे सचिव ने यह तर्क दिया था कि दुर्ग ग्रामीण से खिलाड़ी बहुत हैं, इसलिए क्लब की संबद्धता रद्द की जाती है। जबकि जानकारों का कहना है कि जिला संगठन में ग्रामीण और शहरी दोनों ही खिलाड़ी हिस्सा ले सकते हैं।
खेल विभाग ने भी माना- सचिव ने किया पक्षपात, संघ को मान्यता भी नहीं
शहरी खिलाड़ियों को हिस्सा न देने के मामले की शिकायत खेल एवं युवा कल्याण विभाग दुर्ग में की गई थी। इसके बाद विभाग के सहायक संचालक विलियम लकड़ा ने जांच की थी। विभागीय जांच में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि जिला संघ होने की वजह से शहर के खिलाड़ी भी हिस्सा ले सकते हैं।
संघ के सचिव पीलाराम पारकर ने शहरी खिलाड़ियों को लेने से साफ मना किया, यह पूरी तरह पक्षपात है। साथ ही शासन स्तर से दुर्ग ग्रामीण कबड्डी संघ को खेल एवं युवा कल्याण विभाग से मान्यता नहीं दिया गया। विभाग के सहायक संचालक ने संघ के सचिव खिलाफ कार्रवाई करने सचिव पद से हटाने की अनुशंसा की थी। लेकिन उसके बाद भी आज तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
दोनों संघ के अलग-अलग दावे
एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन ऑफ छत्तीसगढ़ के पदाधिकारियों का कहना है कि, दिल्ली में आयोजित होने वाली राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए हमने जो लेटर भेजा है, वे लेटरपैड में हस्ताक्षर के साथ है। लेकिन दूसरे संघ के लोग बिना लेटरपैड के ऐसे ही मैसेज भेज रहे हैं।
इसका मतलब उन्हें कोई मान्यता नहीं है। अगर वे सही हैं तो नियमानुसार लेटरपैड से निर्देश जारी करें। जिससे उस निर्देश के खिलाफ कोई कोर्ट या फोरम में जाकर चैलेंज कर सके।
वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ कबड्डी संघ के पदाधिकारी का कहना है कि, वो पहले के पदाधिकारी थे तो उन्होंने पहले ऐसा क्यों नहीं किया कि खिलाड़ियों के लिए ओपन ट्रॉयल रखते। पहले वे अलग-अलग खिलाड़ियों को कॉल करके बुलाते थे।
इससे कई ग्रामीण खिलाड़ी छूट जाते थे। मैं जब सचिव बना तो मैंने ग्रामीण बच्चों को उठाने का काफी प्रयास किया है। आज यहां सब कुछ सही तरीके से चल रहा है। आज वे माहौल खराब कर रहे हैं और पॉलिटिक्स कर रहे हैं।
नेशनल स्तर पर खेलने का मौका आया, तो संघों ने रास्ता रोका- खिलाड़ी
ग्रामीण और छोटे कस्बों से आए कई खिलाड़ियों ने बताया कि, उन्होंने कठिन परिश्रम और आर्थिक तंगी झेलकर यहां तक सफर तय किया है। अब जब उनके सामने नेशनल स्तर पर खेलने का मौका आया, तो संघों की राजनीति ने रास्ता रोक दिया।
खिलाड़ियों का कहना है कि अगर सरकार और खेल विभाग ने समय रहते हस्तक्षेप नहीं किया, तो छत्तीसगढ़ के कई होनहार खिलाड़ी इस बार नेशनल टूर्नामेंट से वंचित रह जाएंगे।