भोपाल में डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) ने पानी में उगने वाला विदेशी गांजा (हाइड्रोपोनिक वीड) की बड़ी खेप पकड़ी है। भोपाल जंक्शन पर दो आरोपियों के पास से 24.186 किग्रा हाइड्रोपोनिक वीड बरामद किया है।
डीआरआई की टीम ने 20 अगस्त को बेंगलुरु और भोपाल स्टेशन पर एक साथ कार्रवाई की। बेंगलुरु से 29.88 किग्रा हाइड्रोपोनिक वीड जब्त किया है। रेव पार्टियों में इस्तेमाल होने वाली ये गांजे की एक महंगी किस्म है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 1 करोड़ रुपए प्रति किलो है।
डीआरआई ने ऑपरेशन वीड आउट चलाकर तस्करी में शामिल गिरोह का भंडाफोड़ किया है। मामले में मास्टरमाइंड आरोपी समेत 5 यात्रियों को गिरफ्तार किया है। ये गिरोह सोशल मीडिया के जरिए कॉलेज ड्रॉप आउट, अंशकालिक नौकरी पेशा या बेरोजगार युवाओं को निशाना बनाते थे।
मास्टरमाइंड समेत 5 आरोपी गिरफ्तार डीआरआई की टीम ने राजधानी ट्रेन (22691) में सवार हुए दो यात्रियों के सामान की तलाशी ली। बेंगलुरु में इनके पास 29.88 kg हाइड्रोपोनिक वीड मिला। टीम ने 19 अगस्त 2025 को बेंगलुरु से राजधानी ट्रेन में सवार हुए 2 यात्रियों से भोपाल जंक्शन पर पकड़ा। इस बीच गिरोह के सहयोगी मास्टरमाइंड का नई दिल्ली में पता चला। उसके कब्जे से 1.02 करोड़ रुपए की मादक पदार्थों की तस्करी की राशि बरामद की गई।
देशभर में 72 करोड़ की ड्रग्स जब्त भोपाल में हुई जांच के बाद 20 अगस्त को थाईलैंड से बेंगलुरु पहुंचे एक यात्री को 21 अगस्त की सुबह बेंगलुरु के एक होटल में रोका गया। उसके पास 17.958 किलोग्राम हाइड्रोपोनिक वीड मिला। इस पूरे मामले में एनडीपीएस अधिनियम 1985 के प्रावधानों के अंतर्गत 72 करोड़ रुपए मूल्य की कुल 72.024 किग्रा हाइड्रोपोनिक वीड और 1.02 करोड़ रुपए की अवैध राशि जब्त की गई है।
पानी में उगती है गांजे की ये किस्म हाइड्रोपोनिक वीड (मरिजुआना) यानी गांजे की एक वैरायटी है। ये हाइड्रोपोनिक तकनीक से समुद्री पानी में उगती है। इसमें जमीन में उगने वाली पारंपरिक गांजे से ज्यादा नशा होता है। इसकी कीमत भी पारंपरिक गांजा से कई गुना होती है।
भारत में बैन, कनाडा-थाइलैंड में होती है खेती ज्यादा नशा और भारत में बैन होने के चलते अवैध तरीके से तस्करी के कारण इसकी कीमत करोड़ों में है। THC लेवल बहुत ऊंचा होने के कारण रेव पार्टियों में इसकी डिमांड ज्यादा रहती है। ये वीड थाईलैंड, कनाडा, यूएसए में उगाई जाती है, इसलिए फ्लाइट में पार्सल के जरिए ही इसकी सप्लाई होती है। भारत में पूरी तरह बैन होने से रिस्क फैक्टर ज्यादा रहता है। इस कारण यह महंगा बिकता है।