सड़क हादसे में दो चचेरे भाइयों की मौत, एक साथ उठे शव तो बिलख उठा पूरा गांव; हर आंख दिखी नम

अमेठी : रामगंज के खरगीपुर निवासी अभिषेक मिश्रा (38) व उनके चचरे भाई प्रिंस मिश्रा (30) की शनिवार की रात सोनीपत में हुए सड़क हादसे में मौत हो गई। रविवार रात दोनों के शव गांव पहुंचे तो कोहराम मच गया.सोमवार को प्रयागराज में दोनों का अंतिम संस्कार हुआ।जितेंद्र मिश्रा ने बताया कि अभिषेक व प्रिंस उनके चचेरे भाई थे.

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हरियाणा के कुंडली ट्रांसपोर्ट कंपनी में वह ट्रक चालक थे.अलग-अलग ट्रक पर कुंडली ट्रांसपोर्ट से माल लोड करके गुरुग्राम के धारूहेड़ा जा रहे थे.रास्ते में सोनीपत के खरखौंदा से गुजरे केएमपी एक्सप्रेसवे पर कुंडली टोल प्लाजा के पास ट्रक खड़ा करके टायर चेक कर रहे थे.इसी समय पीछे से आए तेज रफ्तार बेकाबू अज्ञात वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी.हादसे में दोनों भाइयों की मौत हो गई.

 

शनिवार रात फोन से हादसे की सूचना मिली.रविवार को शव गांव पहुंचे। बताया कि एक माह पहले दोनों घर आए थे.जुलाई में धान की रोपाई करवाने के लिए फिर घर आने वाले थे। लेकिन, उससे पहले ही मौत हो गई. खबर मिली तो परिजन खरखौंदा पहुंचे और रविवार की रात शव लेकर गांव पहुंचे.सोमवार को उनका अंतिम संस्कार प्रयागराज स्थित दशाश्वमेध घाट पर किया गया.

जितेंद्र ने आगे बताया कि शनिवार की रात लगभग 1:15 बजे टोल प्लाजा के पास जब उन्होंने गाड़ी खड़ी की थी तो अभिषेक ने पत्नी के पास फोन किया था। फोन पर घरवालों, बच्चे और गांव सहित खेती बाड़ी का हाल-चाल ले रहे थे.उसी बीच अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी। पांच मिनट बाद मौके पर पहुंची पेट्रोलिंग पार्टी ने डायल 112 को सूचना दी

112 डायल के एसआई हरिप्रकाश ने देखा तो दोनों की मौत हो गई थी। मोबाइल चालू हालत में कुछ दूर पड़ा था। चलती कॉल पर एसआई ने अभिषेक की पत्नी को बताया कि सड़क हादसे में दोनों की मौत हो गई है। यह सुन पहले तो अभिषेक की पत्नी को यकीन नहीं हुआ, फिर अचानक चीख उठी.

सोमवार को एक साथ चचेरे भाइयों के शव उठे तो परिजनों की करुणवेदना से हर किसी की आंख नम हो गई. परिजनों को सांत्वना देने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा.बस सबकी जुबान से यही बात निकल रही थी कि दोनों अपने काम में लगे रहते थे.व्यवहार कुशल दोनों भाई हम लोगों से हमेशा के लिए जुदा हो गए.

अभिषेक के पिता की मौत पहले ही हो चुकी है.घर में वृद्ध माता आशा देवी की जुबान पर सिर्फ एक ही अल्फाज था कि बुढ़ापे की लाठी भगवान ने छीन ली.परिवार को सहारा देने वाला बेटा चला गया। पत्नी किरन का रो-रोकर बुरा हाल है। दो बच्चों में 15 वर्षीय बड़ी बेटी परी, छोटा बेटा हर्षित (12) को सहारा देने वाला कोई नहीं है.अब किसके सहारे परिवार रहेगा.

 

प्रिंस की मौत के बाद बुजुर्ग मां आशा, पिता कृपा शंकर मिश्र व पत्नी उमा का रो-रोकर बुरा हाल है.तीन बच्चों में बड़ी बेटी रोही (10), छोटी बेटी आरोही (8) के चेहरे पर पिता के खोने का गम साफ दिख रहा था.चार वर्षीय बेटा आनंद पिता के शव देख बार-बार उठाने की कोशिश करता रहा.मासूम को पता नहीं कि अब उसके सिर पर पिता का साया ही नहीं है.

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