आबूरोड: ब्रह्माकुमारीज़ के मुख्यालय शांतिवन में अवेकनिंग द इनर सॉवरेन विषय पर आयोजित दो दिवसीय रॉयल फैमिली स्प्रीचुअल रिट्रीट में भाग लेने के लिए देशभर से शाही राज परिवार के राजा-महाराज, महारानी और युवराज पहुंचे हैं. रिट्रीट के शुभारंभ पर सभी राजे-महाराजे का ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा पुष्पवर्षा कर और राजस्थानी पगड़ी पहनाकर शाही अंदाज में स्वागत किया गया.
वहीं दोपहर में सभी शाही परिवारों ने शाही बग्घी में बैठकर संस्थान के सोलार किचिन, सोलार थर्मल पावर प्लांट और शांतिवन का भ्रमण किया. उद्घाटन में ब्रह्माकुमारीज़ की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मोहिनी दीदी ने कहा कि यह जीवन अमूल्य है. इसे सेवा और परमात्मा की याद में सफल करना है. सबसे पहले हमें यह जानना होगा कि मैं कौन हूं. मेरे जीवन को उद्देश्य क्या है. वास्तव में हम सभी आत्माएं हैं और यह जीवन महान कार्यों, दिव्य कार्यों के लिए मिला है.
अतिरिक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके जयंती दीदी ने कहा कि जल्द ही भारत स्वर्णिम भारत बनने वाला है. भारत फिर से विश्व गुरु बनेगा. सोने की चिड़िया बनेगा. भारत ही वह देवभूमि है जहां देवी-देवता का राज करते थे. हम ऐसी महान और दिव्य संस्कृति वाले हैं. राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी, अतिरिक्त महासचिव डॉ. बीके मृत्युंजय भाई ने भी अपने विचार व्यक्त किए.
उदयपुर के महाराजा विश्वराज सिंह बहादुर ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ परिवार और हमारे राजघराने का पुराना रिश्ता रहा है. 1937 से शुरू हुआ यह संस्थान आज दुनिया के 140 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है. संस्थान का उद्देश्य आध्यात्मिक जागरण और प्रगति है. लोग अध्यात्म से जुड़े, यही समय की मांग है.कुछ दशकों में देश-दुनिया में तेजी से सामाजिक बदलाव आए हैं. हमने तेजी से पश्चिमी सभ्यता को अपनाया है यह चिंतन का विषय है. यदि अध्यात्म और वैज्ञानिकता एक हो जाए तो दुनिया को बहुत फायदा होगा. महारानी महिमा कुमारी भी मौजूद रहीं.
छग सरगुजा-अंबिकापुर के महाराज व छग के पूर्व उपमुख्यमंत्री त्रिभुनानेश्वर शरण सिंह देव ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ परिवार से मैं हृदय से जुड़ा हूं. संस्थान लोगों में नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिकता की शिक्षा देने के लिए सराहनीय कार्य कर रहा है। आज की युवा पीढ़ी को सही मार्गदर्शन की जरूरत है. आज यहां आकर बहुत प्रसन्नता हो रही है. वर्षों से ब्रह्माकुमारी बहनें मेरे पिताजी को हर वर्ष रक्षाबंधन पर राखी बांधने के लिए आती हैं. युवराज आदितेश्वर शरण सिंह देव भी मौजूद रहे.
इन शाही परिवार के राजा- महाराजाओं ने लिया भाग
महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्री व डोंडाइचा के शाही परिवार के जयकुमार रावल, उत्तर प्रदेश रामपुर के नवाब सैय्यद मोहम्मद काज़िम अली खान बहादुर, निज़ाम नवाब रौनक यार खान , महारानी मयूराक्षी सिंह के साथ आए बूंदी के महाराव राजा वंशवर्धन सिंह , राजस्थान किशनगढ़ की महारानी मीनाक्षी देवी, राजस्थान सिरोही के शाही परिवार के महाराज देवव्रत सिंह बहादुर, गुजरात के राजपिपला के युवराज मानवेंद्र सिंह गोहिल, राजस्थान के मारवाड़ राजघराने के महाराजा गज सिंह जोधपुर, मारवाड़ राजघराने की महारानी हेमलता राजे, तेलंगाना के जाटप्रोले संस्थानम के राजा साहब आदित्य लक्ष्मण राव, राजस्थान के भरतपुर की महारानी दिव्या सिंह और युवराज अनिरुद्ध सिंह, भरतपुर हेरिटेज होटल व लक्ष्मी विलास पैलेस के निदेशक राव राजा रघुराज सिंह, ओडिशा की परलाखेमुंडी गंगा राजवंश की महारानी कल्याणी गजपति, हिमाचल प्रदेश सिरमौर की रानी कुंजना सिंह, राजस्थान झालावाड़ के राजा राजेंद्र सिंह राजावत और कुवरानी मरुधर कुंवर, ठिकाना बनिया राजावत, मध्य प्रदेश के दतिया के महाराज लोकेंद्र अरुणादित्य सिंह जूदेव बहादुर, गुजरात दांता के महाराणा साहेब रिद्धिराज सिंह, छोटा उदेपुर गुजरात के महाराजा जयप्रतापसिंह वी. चौहान और महारानी तनवीर चौहान, मप्र के ओरछा के राव राजा विश्वजीत सिंह जू देव और कुंवर पार्थ सिंह जू देव, गुजरात मितली आनंद का शाही परिवार गोहिल बलवीरसिंह, दिलीपसिंह एवं गोहिल कल्पनाबा बलवीरसिंह, कनेटी सानंद, गुजरात के शाही परिवार के जीतेन्द्रसिंह वाघेला और नयनाबा वाघेला, वाधवान के शाही परिवार के कुंवर सुधीर सिंह झाला और कुंवर रानी शक्तिदेवी झाला, गनोद-सौराष्ट्र गुजरात की कुंवर रानी हंसिनीदेवी डी. जाडेजा, जालिम-विलास परिवार जोधपुर की कुंवर रानी मीरा देवी, अभिजीत सिंह राठौड़, दतले पार्वती देवी और दतला वेंकट सत्यनारायण राजू, मोगाल्टुरु के जमींदार मुख्य रूप से मौजूद रहे.