मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में अंधविश्वास के नाम पर मासूम बच्चों को इलाज की जगह गर्म सलाखों से दागने का हैरान करने वाला मामला सामने आया है. तीनों बच्चे निमोनिया से पीड़ित थे. इनमें से दो की उम्र मात्र दो महीने है और तीनों ही ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं. इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने स्वतः संज्ञान लिया है.
जानकारी के अनुसार, जिला अस्पताल के पीडियाट्रिशियन डॉ. संदीप चोपड़ा ने थाना प्रभारी को पत्र लिखकर स्थिति से अवगत कराया है. तीनों बच्चों को गंभीर हालत में जिला अस्पताल लाया गया, जहां इलाज के दौरान पता चला कि इन्हें अंधविश्वास में पड़कर लोहे की गर्म सलाखों से दाग दिया गया है. तीन बच्चों में दो बच्चों की उम्र महज दो महीने हैं, जबकि तीसरी बच्ची छह महीने की है. तीनों की हालात गंभीर बनी है. उन्हें अस्पताल में ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है.
तांत्रिक के कहने बर बच्चों को दागा
निमोनिया होने के बाद परिजनों ने अंधविश्वास में आकर गांव के एक तांत्रिक के कहने पर अपने ही बच्चों के शरीर पर गर्म सलाखों से दाग दिया. पहली बच्ची, जिसकी उम्र सिर्फ दो महीने है, उसका पूरा इलाज डॉक्टरों की देखरेख में चल रहा था, लेकिन इलाज के बीच उसकी गर्दन और पेट पर लकड़ी या लोहे की गर्म छड़ों से कई जगह जले हुए घाव बना दिए गए. दूसरी घटना भी एक दो महीने के मासूम से जुड़ी है, जिसे विशेषज्ञ डॉक्टर ऑक्सीजन पर रखकर बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उसके नन्हे बदन पर पेट के पास तीन गहरे दाग मिले.
डॉक्टर की शिकायत पर दर्ज हुआ केस
तीसरी, छह महीने की बच्ची के पेट के दोनों ओर और पीठ के हिस्से पर दागने के ताजा निशान हैं, और वह भी अस्पताल के बिस्तर पर दर्द से कराह रही है. इन बच्चों की चीखें और उनकी मांओं की बेबसी झाबुआ जिले के हर नागरिक का दिल दहला देती हैं. डॉक्टर और स्वास्थ्य अमला इस घटना से स्तब्ध हैं. जिला अस्पताल के पीडियाट्रिक इंचार्ज डॉ. संदीप चोपड़ा ने पूरे मामले की जानकारी थाना प्रभारी को लिखित में दी और जोर देकर कहा कि ऐसा इलाज अमानवीय और खतरनाक है.
2023 में भी झाबुआ जिले में इसी तरह की घटना पर मानवाधिकार आयोग ने कड़ी कार्रवाई की थी. रिपोर्ट तलब कर दोषियों की गिरफ्तारी हो चुकी थी. बावजूद इसके, एक बार फिर झाबुआ में अंधविश्वास ने मासूमों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया है. डॉक्टरों ने साफ कहा है कि निमोनिया या ऐसे संक्रमण का इलाज सिर्फ अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में किया जाना चाहिए, अंधविश्वास से तो मासूम की जान तक जा सकती है.
NHRC ने लिया मामले पर संज्ञान
प्रशासन और पुलिस सक्रिय हुए हैं, लेकिन बड़ा सवाल यही है कि आखिर कब तक बच्चों को अंधविश्वास की यह जलती सजा दी जाती रहेगी? इस मामले में एनएचआरसी ने स्वतः संज्ञान लिया है. एनएचआरसी ने इस गंभीर मामले पर आयोग ने झाबुआ के कलेक्टर और एसपी को नोटिस जारी किया है. साथ ही दोनों अधिकारियों से दो हफ्ते में विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है.