स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता और विशेषज्ञता बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने शासकीय होम्योपैथिक चिकित्सा महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, भोपाल को दो नए स्नातकोत्तर (पीजी) कोर्स शुरू करने की मंजूरी दे दी है। अब यह महाविद्यालय त्वचा रोग (डर्मेटोलॉजी) और कम्युनिटी मेडिसिन जैसे दो अत्यंत महत्वपूर्ण विषयों में भी पीजी डिग्री प्रदान करेगा।
यह दोनों कोर्स शैक्षणिक सत्र 2025-26 से शुरू होंगे। फिलहाल महाविद्यालय में सात विषयों — प्रैक्टिस ऑफ मेडिसिन, पीडियाट्रिक, साइकियाट्रिक, फार्मेसी, मेडिसिन और रेस्पिरेटरी में पीजी कोर्स संचालित हो रहे हैं। नए कोर्स जुड़ने से यह संख्या नौ हो जाएगी। अस्पताल की अधीक्षक डॉ. सुनीता तोमर ने जानकारी दी कि वर्तमान समय में प्रदूषण, अस्वस्थ खान-पान और निष्क्रिय जीवनशैली के चलते त्वचा रोगों में तेजी से वृद्धि हो रही है।
इसी तरह जनस्वास्थ्य की चुनौतियों, नई बीमारियों की रोकथाम और स्वास्थ्य जागरूकता के लिए कम्युनिटी मेडिसिन विशेषज्ञों की मांग भी तेजी से बढ़ी है। इस निर्णय से न केवल विशेषज्ञ चिकित्सकों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि आमजन को बेहतर होम्योपैथिक इलाज भी मिल सकेगा। साथ ही यह कदम प्रदेश में जनस्वास्थ्य व्यवस्था को सशक्त करने में भी सहायक होगा।
फार्मेसी छात्रों के लिए डिजीलाकर जरूरी, घर बैठे होगा रजिस्ट्रेशन
मध्य प्रदेश में बी-फार्मा और एम-फार्मा करने वाले छात्रों के लिए अब रजिस्ट्रेशन से पहले डिजीलाकर पर खाता बनाना अनिवार्य कर दिया गया है। फार्मेसी काउंसिल की रजिस्ट्रार भव्या त्रिपाठी के अनुसार जल्द ही पंजीयन की प्रक्रिया एक विशेष डिजिटल सॉफ्टवेयर के माध्यम से शुरू की जाएगी, जिससे छात्रों को दस्तावेजों के सत्यापन के लिए बार-बार भोपाल नहीं आना पड़ेगा। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से छात्रों के स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र, 10वीं-12वीं की मार्कशीट, डिग्री/डिप्लोमा, फोटो व अन्य जरूरी दस्तावेजों का समग्र आईडी और डिजीलाकर के जरिए स्वतः सत्यापन किया जाएगा।
अब तक यह प्रक्रिया मैन्युअल थी, जिससे रजिस्ट्रेशन में देरी हो रही थी और लगभग 10,500 आवेदन पेंडिंग हो गए थे। अधिकारियों के मुताबिक लगभग 70 प्रतिशत आवेदन फार्म में गलतियां पाई गईं। सबसे ज्यादा गलती अंग्रेजी में नाम, पिता/पति का नाम और जन्मतिथि में हुई। इन समस्याओं से निपटने के लिए अब फार्मेसी काउंसिल पूरी प्रक्रिया को डिजिटल कर रही है, जिससे छात्र घर बैठे आवेदन और वेरिफिकेशन कर सकेंगे।
रजिस्ट्रेशन फीस नहीं ली जाएगी
नई प्रक्रिया के तहत जब तक दस्तावेजों का वेरिफिकेशन पूरा नहीं होगा, तब तक रजिस्ट्रेशन फीस नहीं ली जाएगी। इससे पहले एमपी ऑनलाइन के माध्यम से पहले फीस ली जाती थी, बाद में वेरिफिकेशन होता था। अब ऐसा नहीं होगा। रजिस्ट्रार के मुताबिक, मई तक 10,500 आवेदन लंबित थे।
नई व्यवस्था लागू होने के बाद अब तक करीब 2,500 छात्रों का रजिस्ट्रेशन पूरा हो चुका है, जबकि लगभग 7,500 आवेदन अभी भी पेंडिंग हैं। इनमें से 4,000 आवेदनों को दस्तावेजों की गलतियों के कारण लौटा दिया गया है। छात्रों को इन फार्मों के लिए नई प्रक्रिया के अनुसार दोबारा आवेदन करना होगा।