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पुणे पोर्श कांड में दो पुलिसकर्मी सस्पेंड, सीनियर्स को नहीं दी थी हादसे की जानकारी

पुणे पोर्श कांड मामले में जांच के बाद परत दर परत लापरवाही की परतें खुलती जा रही है. इस मामले में पुलिस ने शुरू से ही लापरवाही की थी. अब इसे देखते हुए दो पुलिस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. यह वही दोनों अफसर हैं, जो घटना के तुरंत बाद मौके पर पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने सीनियर्स और कंट्रोल रूम में मामले में जानकारी नहीं दी थी.

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दो पुलिस अफसर निलंबित

येरवडा पुलिस स्टेशन के दो पुलिस अफसरों को पुणे आयुक्त ने निलंबित कर दिया है. 19 मई को हुई दुर्घटना के बारे में सीनियर्स को समय पर सूचित नहीं करने के लिए पुलिस निरीक्षक राहुल जगदाले और एपीआई विश्वनाथ टोडकरी को निलंबित कर दिया गया.

जोन-1 के डीसीपी भी थे नाइट राउंड पर

बता दें कि, महाराष्ट्र के पुणे पोर्श कांड में पुलिस की सबसे बड़ी लापरवाही सामने आई थी. पोर्श कार से दो लोगों को कुचलने की घटना के बाद येरवदा पुलिस स्टेशन के दो अफसर घटनास्थल पर पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने कंट्रोल रूम को इसकी सूचना नहीं दी थी. इस मामले में इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाने की बात पहले से ही कही जा रही थी. कहा जा रहा है कि इस दौरान जोन-1 के डीसीपी गिल भी नाइट राउंड पर थे. लेकिन उन्हें इस हादसे की कोई जानकारी नहीं दी गई क्योंकि इन दोनों अफसरों ने कंट्रोल रूम को सूचित ही नहीं किया था.

पिज्जा-बर्गर खिलाने के आरोपों को खारिज

इससे पहले पुणे एसपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नाबालिग आरोपी के पिता के उन दावों पर साफ-साफ कहा था कि सीसीटीवी फुटेज से साफ है कि नाबालिग आरोपी ने अपने घर से गाड़ी बाहर निकाली थी. इसके साथ ही उन्होंने इन आरोपों को भी खारिज किया कि नाबालिग को घटना के बाद कस्टडी में पिज्जा और बर्गर खाने को दिया गया था.

घटना के समय गाड़ी नहीं चला रहा था नाबालिग

उन्होंने कहा था कि ऐसा बताने के प्रयास किए गए कि नाबालिग घटना के समय गाड़ी नहीं चला रहा था. उसकी जगह कोई और गाड़ी चला रहा था. हम ड्राइवर पर सबूतों को नष्ट करने के लिए एफआईआर में धारा 201 जोड़ने जा रहे हैं. हम इसका भी पता लागएंगे कि ड्राइवर ने किसी दबाव में स्टेटमेंट दिया.

क्या है मामला?

हिट एंड रन की ये घटना 19 मई की है. पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई. इस घटना के 14 घंटे बाद आरोपी नाबालिग को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी.

कोर्ट ने उसे 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करने और सड़क दुर्घटनाओं के प्रभाव-समाधान पर 300 शब्दों का निबंध लिखने का निर्देश दिया था. हालांकि, पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी शराब के नशे में था और बेहद तेज गति से कार को चला रहा था. इस समय नाबालिग सुधार गृह में है.

नाबालिग पर वयस्क की तरह केस चलाने की मांग

इस मामले में पुणे पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने कहा कि नाबालिग आरोपी पर एक वयस्क की तरह मुकदमा चलाया जाना चाहिए. इसके लिए पुलिस ने ऊपरी अदालत से अनुमति मांगी है. पुलिस कमिश्नर का यह बयान आरोपी नाबालिग को जमानत दिए जाने पर नाराजगी के बीच आया.

उन्होंने कहा कि आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 304ए (लापरवाही से मौत) और मोटर वाहन अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.

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