इलाहाबाद हाई कोर्ट के मौजूदा जज जस्टिस शेखर कुमार यादव ने विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम में ‘समान नागरिक संहिता: एक संवैधानिक आवश्यकता’ विषय पर अपनी बात रखी. यह कार्यक्रम हाई कोर्ट परिसर के लाइब्रेरी में आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में यूसीसी पर चर्चा के अलावा, वक्फ बोर्ड अधिनियम और धर्मांतरण के कारणों और संभावित समाधानों पर भी विचार विमर्श किया गया.
इस कार्यक्रम के आयोजन में VHP ने अपने उद्देश्य के अनुसार हिंदू धर्म की रक्षा, समाज की सेवा और हिंदू समुदाय को एकजुट करने की दिशा में काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की. इस साल सितंबर में, केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक ट्वीट किया था. इसमें दिल्ली में आयोजित VHP के एक कार्यक्रम की तस्वीरें थीं.
कार्यक्रम में शामिल थे कई जज
इस कार्यक्रम में कई रिटायरर्ड जज की उपस्थिति ने सोशल मीडिया पर एक बहस को जन्म दिया था. माना जा रहा है इस दौरान दिल्ली हाई कोर्ट के दो मौजूदा जज भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे, हालांकि वीएचपी अध्यक्ष ने इस बात से इनकार किया था. कार्यक्रम में जस्टिस यादव ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को भारतीय संविधान के अनुरूप एक आवश्यक कदम बताया और धर्म के नाम पर होने वाली सामाजिक असमानताओं को दूर करने के लिए इसे लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया.
बयानों के चलते सुर्खियों में आए
उन्होंने कहा कि समाज में समानता और न्याय की भावना को बढ़ाने के लिए यूसीसी का होना अनिवार्य है. जज शेखर कुमार यादव 2021 में अपने कुछ विवादास्पद बयान देने के लिए सुर्खियों में आए थे. उस समय, उन्होंने उत्तर प्रदेश में गोहत्या निवारण अधिनियम के तहत एक व्यक्ति को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि गाय भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और इसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए. इसके अलावा, उन्होंने भगवान राम, भगवान कृष्ण, रामायण, गीता और उनके लेखकों महर्षि वाल्मीकि और महर्षि वेद व्यास को भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग के रूप में मान्यता देने की आवश्यकता व्यक्त की थी.