उदयपुर: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने आज महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MPUAT) की प्रबंध मंडल बैठक के दौरान विभिन्न छात्रहित से जुड़े मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन करते हुए एक ज्ञापन सौंपा. महानगर मंत्री पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि मई 2022 में विश्वविद्यालय द्वारा विज्ञापित शैक्षणिक पदों की भर्ती प्रक्रिया तीन वर्ष बीत जाने के बावजूद अभी तक पूरी नहीं हो सकी है, जबकि देश के अन्य कृषि विश्वविद्यालयों ने इस दौरान दो बार भर्तियां पूरी कर ली हैं. उन्होंने इस प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर उसमें सुधार कर नए सिरे से विज्ञापन जारी करने और शीघ्र भर्ती पूर्ण करने की मांग की.
राठौड़ ने स्कोरकार्ड में मौजूद विसंगतियों की भी ओर ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने बताया कि विदेशी विश्वविद्यालयों से पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों को 5 अंक दिए जा रहे हैं, जबकि भारतीय संस्थानों से पीएचडी करने वालों को केवल 4 अंक ही मिलते हैं. इसके विपरीत, अन्य कृषि विश्वविद्यालयों में पीएचडी के लिए 8 अंक निर्धारित हैं. इसके अलावा, एसआरएफ (सीनियर रिसर्च फेलो) और आरए (रिसर्च एसोसिएट) जैसे महत्वपूर्ण शोध अनुभव को स्कोरकार्ड में शामिल नहीं किया गया है, जबकि ये विश्वविद्यालय के विभिन्न शोध प्रोजेक्ट्स में अहम भूमिका निभाते हैं और अन्य विश्वविद्यालयों में इन अनुभवों को अंक दिए जाते हैं.
इकाई अध्यक्ष सुमित चौधरी ने कहा कि स्टाफ की कमी के कारण एमएससी और पीएचडी की सीटों में की गई कटौती छात्रों के भविष्य के साथ अन्याय है. उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह स्टाफ की पूर्ति करे, न कि छात्रों की सीटें घटाकर समस्या से बचने का प्रयास करे. इसके साथ ही चौधरी ने छात्रों से दोहरी स्पोर्ट्स फीस वसूले जाने पर भी सवाल उठाया. उन्होंने बताया कि छात्र पहले ही अपने-अपने महाविद्यालयों में स्पोर्ट्स फीस देते हैं, फिर विश्वविद्यालय स्तर पर दोबारा यह फीस लेना छात्रों के साथ अन्याय है.
उन्होंने विश्वविद्यालय के हॉस्टलों की जर्जर स्थिति और इंटरनेट की खराब सेवा पर भी गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने मांग की कि हॉस्टलों के नवीनीकरण के लिए एक छात्र-समिति बनाई जाए ताकि कार्य में पारदर्शिता बनी रहे. साथ ही, उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय इंटरनेट सेवाओं पर लाखों रुपये खर्च कर रहा है, लेकिन सुविधाएं नगण्य हैं, जिससे आर्थिक नुकसान भी हो रहा है. वहीं प्रबंध मंडल ने एबीवीपी द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया है.