उदयपुर: कोटड़ा तहसील में एक बड़ा हादसा होते-होते टल गया, जिसने एक बार फिर ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति को उजागर किया है. कोटड़ा के महाड़ी बंबूरिया फला गांव के सरकारी उच्च प्राथमिक स्कूल की छत बुधवार सुबह करीब 6 बजे अचानक ढह गई. गनीमत यह रही कि इस हादसे के समय स्कूल में न तो छात्र मौजूद थे और न ही शिक्षक, वरना एक बड़ा हादसा हो सकता था.
यह घटना दिखाती है कि कैसे वर्षों से अनदेखी और लापरवाही के कारण सरकारी स्कूलों की इमारतें जर्जर हो चुकी हैं. शिक्षकों ने बताया कि पिछले दो सालों से स्कूल भवन की हालत बेहद खराब थी. उन्होंने कई बार शिक्षा अधिकारियों को इसकी जानकारी दी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. यही कारण है कि स्कूल का नामांकन भी 225 से घटकर 190 रह गया है.
यह केवल उदयपुर की कहानी नहीं है. हाल ही में राजस्थान के अन्य जिलों, जैसे झालावाड़ और जैसलमेर में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं. झालावाड़ के एक सरकारी स्कूल में छत का प्लास्टर गिरने से कुछ छात्रों कि दर्दनाक मौत हो गई तो कुछ छात्र घायल हो गए थे, जबकि जैसलमेर में भी एक स्कूल की छत ढहने से टीचर और छात्र बुरी तरह जख़्मी हो गए थे, जिससे छात्रों में दहशत फैल गई थी.
ये घटनाएं स्पष्ट रूप से दिखाती हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी स्कूलों में आधारभूत ढांचे की स्थिति कितनी खराब है. छात्रों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ हो रहा है. प्रशासन को केवल घटना के बाद कदम उठाने के बजाय, ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. पुराने और जर्जर भवनों का तुरंत नवीनीकरण या पुनर्निर्माण किया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई बड़ी दुर्घटना न हो. सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चों को सुरक्षित और बेहतर शिक्षा का माहौल मिल सके.