धर्मधानी उज्जैन में शिप्रा नदी किनारे 2344.10 हेक्टेयर जमीन पर ‘सिंहस्थ नगर’ का निर्माण होने जा रहा है। इसमें आश्रम, अस्पताल, स्कूल-कालेज, गुरुकुल, धर्मशाला एवं दर्शनीय स्थल बनाने को न्यूनतम एक हेक्टेयर के प्लाट कटेंगे।
आसान पहुंच के लिए 18 मीटर चौड़े मार्ग बनाए जाएंगे। निवेशकों को साढ़े 12 मीटर ऊंचे भवन बनाने की अनुमति मिलेगी। प्लांट आवंटन की मुख्य शर्त यह होगी कि उन्हें न्यूनतम 10 मीटर सीमांत खुला क्षेत्र छोड़ना होगा और परिसर में कम से कम 75 पौधे प्रति हेक्टेयर के मान से लगाने होंगे।
महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ ने प्रकाशित की पुस्तक
दो दिन पहले महाशिवरात्रि पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा भगवान महाकाल को अर्पित और विक्रमोत्सव के शुभारंभ समारोह में विमोचित पुस्तक ‘अलौकिक सिंहस्थ’ में सिंहस्थ नगर विकास का लेख है। महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा प्रकाशित 36 पेज की इस पुस्तक के शुरुआती पन्नों में यहां वर्ष 2028 में लगने वाले महाकुंभ सिंहस्थ का महत्व बतलाया है।
15 करोड़ श्रद्धालुओं के समागम का अनुमान
14 पन्नों में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उज्जैन शहर में प्रचलित और प्रस्तावित कार्यों की संक्षिप्त जानकारी शामिल की गई है। पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विरासत से विकास की अवधारणा को समर्पित है, जिसमें अलौकिक सिंहस्थ का लोकव्यापी आह्वान किया है। इसमें 15 करोड़ श्रद्धालुओं के समागम का अनुमान लगाया गया है।
लेख है कि इस बार सिंहस्थ क्षेत्र के लिए आरक्षित 3061 हेक्टेयर भूमि में से 2344.10 हेक्टेयर भूमि पर ग्लोबल स्पिरिच्युअल सिटी के रूप में सिंहस्थ नगर का विकास किया जाएगा। ऐसा नगर जहां सड़क, पानी, बिजली, सीवरेज, उद्यान के कार्य स्थायी प्रकृति के किए जाएंगे।
1172 हेक्टेयर जमीन विकसित कर प्लाट आवंटित किए जाएंगे। 468.080 हेक्टेयर जमीन सड़क निर्माण में चली जाएगी। 117.20 हेक्टेयर क्षेत्र खुला रखा जाएगा। सिंहस्थ नगर का विकास, उज्जैन विकास प्राधिकरण करेगा।