रामायण के श्रवण कुमार की कहानी सबने सुनी, लेकिन कभी कोई वैसा बन नहीं पाया. युग बीत गए लेकिन नाम अब भी श्रवण कुमार का ही लिया जाता है. लेकिन इस घोर कलयुग में आज भी श्रवण कुमार जैसे बेटे भी हैं, जो अपने मां-बाप से से उतना ही प्यार करते हैं और उनका उतना ही सम्मान करते हैं. एक ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश के महाकाल की नगरी उज्जैन से सामने आया है. यहां निवासरत एक हिस्ट्रीशीटर रहे शख्स ने अपनी जांघ की चमड़ी से चरण पादुकाएं बनवाकर अपनी मां को पहना दीं.
दरअसल, रौनक गुर्जर कुख्यात हिस्ट्रीशीटर रह चुका है. एक केस में आरोपी बने रौनक के पैर में पुलिस ने एक बार भी गोली मार दी थी. लेकिन रौनक गुर्जर जो रोजाना रामायण पढ़ते हैं, उन्हें रामायण पढ़ते हुए ऐसी प्रेरणा मिली कि उन्होंने यह संकल्प लिया कि वे अपनी चमड़ी से मां के लिए चप्पलें बनवाएंगे.
रौनक ने बताया कि शरीर से चमड़ी निकलवाने में उसे खासा तकलीफ का सामना करना पड़ा. फिर भी ये उस तकलीफ के अंश बराबर भी नहीं, जिसे उसकी मां ने उसकी वजह से अपने जीवन में भोगा है. फिलहाल, अपनी चमड़ी से मां के लिए चप्पल बनवाने के बाद अब रौनक अपने क्षेत्र में भागवत कथा करा रहा है, जिसे सुनने के लिए उज्जैन ही नहीं बल्कि आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं.
रौनक की मां निर्मला गुर्जर का कहना है कि उन्हें पता नहीं था कि उनका बेटा ऐसा कुछ भी कर सकता है. उन्होंने खुशी जताते हुए अपने बेटे के लिए प्रार्थना करते हुए कहा भगवान ऐसा बेटा हर मां को दे. उसे जीवन में कोई दुख ना देखना पड़े.