उज्जैन। मध्यप्रदेश की धर्मधानी उज्जैन अब आध्यात्म, योग और आयुर्वेद के संगम से ‘वेलनेस कैपिटल आफ इंडिया’ बनने जा रही है। इसका आगाज विश्व पर्यावरण दिवस पर गुरुवार को यहां मुख्यमंत्री मोहन यादव की उपस्थिति में हुई प्रथम ‘स्प्रिचुअल एंड वेलनेस समिट’ में हुआ। समिट में देशभर के 14 प्रमुख संस्थानों ने 1929 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव दिए। समिट का उद्देश्य, उज्जैन, ओंकारेश्वर जैसे तीर्थ स्थलों को वेलनेस इकोनामी के अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में स्थापित करना है। कार्यक्रम में परमार्थ निकेतन आश्रम, ऋषिकेश के स्वामी चिदानंद सरस्वती, जिले के प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल मंचासीन थे।
पर्यटन विभाग के सचिव शिवशेखर शुक्ला ने समिट में कहा कि नई पर्यटन नीति के तहत होटल, रिसॉर्ट और वेलनेस सेंटर खोलने की प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल किया गया है। सभी परमिशन अब ऑनलाइन पोर्टल पर मिलेंगी। राज्य सरकार अधिकतम 90 करोड़ रुपये के निवेश पर 15 से 30 प्रतिशत पूंजीगत सब्सिडी प्रदान कर रही है। एमपी टूरिज्म की 70 प्रॉपर्टी में से 20 वेलनेस प्रोजेक्ट्स के लिए बहुत ही अच्छी हैं। उज्जैन विकास प्राधिकरण के पास 10.97 हेक्टेयर और इंदौर विकास प्राधिकरण के पास 9.16 हेक्टेयर भूमि निवेश के लिए तैयार है। ओंकारेश्वर, खजुराहो, शहडोल में आइलैंड रिजार्ट के लिए 20 से 25 एकड़ भूमि उपलब्ध है।
उद्योगपति सुरेश सिंह भदौरिया ने 400 करोड़ का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई। स्वामी चिदानंद सरस्वती (परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश) ने कहा कि भारत को भारत की आंखों से देखने का समय है। उज्जैन जैसे शहर भारत की सांस्कृतिक आत्मा हैं। सही कार्य हुआ तो आने वाले वर्षों में एलन मस्क और मार्क जकरबर्ग जैसे लोग भी महाकाल दर्शन को आएंगे।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि देश में सबसे बड़ा वेलनेस पैकेज केवल मध्यप्रदेश में ही है।
मध्यप्रदेश, उद्योग, शिक्षा और वेलनेस के लिए सबसे अनुकूल राज्य है।
हमने मेडिकल कॉलेज खोलने वालों को 25 एकड़ जमीन सिर्फ एक रुपय में देने की व्यवस्था बनाई है।
300 बेड का अस्पताल और स्टाफ की सेलरी भी राज्य सरकार वहन करेगी।
प्रति कर्मचारी पांच हजार रुपये का इंसेंटिव भी देगी। यह व्यवस्था पूरे देश में केवल मध्यप्रदेश में है।
उज्जैन को दुनिया का वेलनेस हब बनाने के लिए हम नीतियों से परे जाकर सहयोग करेंगे।