यूनाइटेड नेशन्स की हेल्थ एजेंसी यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड (UNFPA) की ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत की जनसंख्या पिछले 77 सालों में दोगुनी हो चुकी है.
यह 144.17 करोड़ पहुंच चुकी है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2006-2023 के बीच 23% बाल विवाह हुए हैं. साथ ही डिलीवरी के समय होने वाली महिलाओं की मौतों की संख्या में कमी आई है.
भारत ने इस साल के शुरुआत में सबसे ज्यादा 142.5 करोड़ आबादी वाले देश चीन को पीछे छोड़ा था. 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश की कुल आबादी 121 करोड़ दर्ज की गई थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की कुल आबादी का 24% हिस्सा 0-14 साल के लोगों का है. 15-64 साल की संख्या सबसे ज्यादा 64% है. पुरुषों की औसत आयु 71 और महिलाओं की 74 साल है.
UNFPA की इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में सेक्सुअल और रिप्रोडक्टिव हेल्थ 30 सालों के सबसे बेहतर स्तर पर है.
यही कारण है कि डिलीवरी के दौरान होने वाली मौतों की संख्या में भी गिरावट आई है. दुनिया में हो रही ऐसी मौतों में भारत का हिस्सा 8% है.
वहीं 2006-2023 के बीच हुए कुल विवाहों में 23% बाल विवाह है. जिनमें लड़के और लड़की की उम्र 21 और 18 साल से कम थी.
रिपोर्ट में वैश्विक रूप से महिलाओं की यौन स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा गया है कि लाखों महिलाएं और लड़कियां अभी प्रमुख स्वास्थ्य उपायों से वंचित हैं.
2016 के बाद से हर दिन 800 महिलाओं की बच्चे को जन्म देते समय मौत हो जाती हैं. आज भी एक चौथाई महिलाएं अपने पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाने से इनकार नहीं कर सकती हैं.
संबंध बनाने वाली 10 में से 1 महिला आज भी गर्भनिरोधक उपायों के बारे में खुद निर्णय नहीं ले सकती. रिपोर्ट में कहा गया है कि डेटा वाले 40% देशों में महिलाएं शारीरिक संबंधों का फैसले लेने में पुरुषों से पीछे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिव्यांग महिलाओं से यौन हिंसा का खतरा दिव्यांग पुरूषों की अपेक्षा 10 गुना अधिक है.
दिव्यांग, प्रवासी-शरणार्थी, अल्पसंख्यक, LGBTQIA+, एचआईवी पीड़ित और वंचित-दलित वर्गों की महिलाओं को अब भी यौन और प्रजनन स्वास्थ्य में जोखिम का सामना करना पड़ा रहा है.
स्वास्थ्य देखभाल पहुंच में सुधार का लाभ मुख्य रूप से धनी महिलाओं और उन जातीय समूहों से संबंधित लोगों को हुआ है जिनके पास पहले से ही स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच थी.