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हिन्दुओं पर हुए जुल्म की जांच करने बांग्लादेश आई UN की टीम, अल्पसंख्यक बोले- देंगे हत्या, आगजनी और हिंसा के सबूत

बांग्लादेश (Bangladesh) की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देने के बाद अल्पसंख्यकों और अन्य लोगों के खिलाफ हिंसा की जांच के लिए UNHRC की फैक्ट फाइंडिंग टीम राजधानी ढाका पहुंच गई है. संयुक्त राष्ट्र का यह प्रतिनिधिमंडल एक महीने तक बांग्लादेश में रहेगा. हिंदू अल्पसंख्यक समूहों द्वारा बांग्लादेश के तमाम इलाकों में हिंदू समुदाय के सदस्यों के खिलाफ अत्याचारों की लगातार रिपोर्ट की जाती रही है. इसके अलावा जमात-ए-इस्लामी और इसी तरह के अन्य चरमपंथी समूहों के उभरने की भी रिपोर्ट्स आई हैं.

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अल्पसंख्यकों और अन्य लोगों के खिलाफ अत्याचारों की जांच करने के लिए बांग्लादेश आए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के प्रतिनिधिमंडल से हिंदू अल्पसंख्यक समूह से संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. हिंदू समूहों ने आजतक से बातचीत में बताया कि वे प्रतिनिधिमंडल से मिलेंगे और 1 जुलाई से 5 अगस्त तक हुई हत्या, बर्बरता और सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को जलाने के सबूत पेश करेंगे.

UN की टीम से मिलने का वक्त मांगा

बंगबंधु फाउंडेशन की तरफ से उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधिमंडल से मिलने और साक्ष्यों के साथ शिकायतें सबमिट करने के लिए वक्त मांगा है. संस्था ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव को एक पत्र भी लिखा है. पत्र का विषय है, ‘उचित न्याय के लिए 15 जुलाई से 15 अगस्त, 2024 तक बांग्लादेश में हुई हत्याओं पर विचार करना.’

पत्र में कहा गया, “हमें यह जानकर खुशी हुई कि यूनाइटेड नेशन हाई कमीशन का कार्यालय कोटा सुधार आंदोलन के दौरान हाल ही में हुई हत्याओं की जांच करने के लिए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की सहायता कर रहा है. 5 अगस्त के बाद बड़े पैमाने पर हत्याएं की गईं और अल्पसंख्यक समुदाय के घरों, धार्मिक संस्थानों, बांग्लादेश अवामी लीग के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बर्बरता की गई. इस बीच, आपके कार्यालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 16 जुलाई से 11 अगस्त, 2024 तक 600 से ज्यादा लोग मारे गए.” बंगबंधु फाउंडेशन ने संयुक्त राष्ट्र से गुजारिश किया है कि वह अपने फॉरेंसिक और हथियार विशेषज्ञों से पूरे घटनाक्रम और हत्याओं की जांच कराए.”

बता दें कि अल्पसंख्यक हिन्दू ग्रुप भी संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधिमंडल से मिलने की योजना बना रहे हैं, जिससे उन्हें वक्त मिलने पर वे साक्ष्यों और बयानों के साथ अपनी शिकायत दर्ज करा सकें.

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