ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के रामगढ़ पर्वत के संरक्षण को लेकर पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव द्वारा भेजे गए पत्र के आधार पर, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के महानिदेशक ने छत्तीसगढ़ के फॉरेस्ट सेक्रेटरी से रामगढ़ पर्वत की स्थिति की जांच कर रिपोर्ट मांगी है।
सिंहदेव ने अपने विस्तृत पत्र में बताया है कि हसदेव क्षेत्र में वर्तमान में चल रही कोयला खदानों के कारण रामगढ़ पर्वत का अस्तित्व खतरे में है और वन विभाग ने यहां नए खदान केते-एक्सटेंशन के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया है।
सिंहदेव ने 30 अगस्त 2025 को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से जुड़े फॉरेस्ट एडवाइजरी कमेटी के चेयरमैन सुशील कुमार अवस्थी को एक पत्र भेजा था।
इस पत्र में सिंहदेव ने रामगढ़ पर्वत के साथ-साथ क्षेत्र की पारिस्थितिक स्थिति से जुड़ी सिलसिलेवार जानकारी भी भेजी है। उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वर्ष 2019 में वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और ICRFI देहरादून के माध्यम से कराए गए जैव विविधता मूल्यांकन का भी जिक्र किया है।
रामगढ़ क्षेत्र खनन के लिए नो-गो एरिया घोषित
वर्ष 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस क्षेत्र की जैव विविधता को ध्यान में रखते हुए यहां खदानों के संचालन के आदेश को रद्द कर संबंधित संस्थाओं से जांच कराने का निर्देश दिया था। लेकिन प्रदेश की तत्कालीन रमन सरकार ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की। 2021 में इन संस्थाओं द्वारा दी गई जांच रिपोर्ट में इस क्षेत्र को, मौजूदा PKEB खदान के अलावा, नो-गो एरिया (खनन के लिए अयोग्य) घोषित किया गया था
कोयला खदान में विस्फोट के रामगढ़ पर आ रही दरारें
नए खदान की मंजूरी से रामगढ़ पर संकट टीएस सिंहदेव ने पत्र में बताया है इन संस्थाओं के रिपोर्ट के बावजूद छत्तीसगढ़ में 2023 में भाजपा की नई सरकार के आने के बाद रामगढ़ पर्वत के निकट नई खदान केते एक्सटेंशन को खोलने के लिए जनसुनवाई की गई, जिसमें 1500 आपत्तियां आई थी।
वन विभाग सरगुजा द्वारा 26 जून 2025 को रामगढ़ पर्वत के धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों जैसे पर्वत पर स्थित रामजानकी मंदिर से संबंधित तथ्यों को छुपाते हुए खदान के पक्ष में अनापत्ति जारी कर दी गई है।
सिंहदेव ने पत्र में बताया है कि वर्तमान में चल रहे खदान की ब्लास्टिंग के कारण पर्वत पर जगह-जगह दरारें पड़ गई हैं। स्थानीय निवासियों ने ब्लास्टिंग के कारण पहाड़ में होने वाली कंपन और उससे उत्पन्न दरारें का जिक्र विभिन्न जांच दलों के सम्मुख किया है।
यह क्षेत्र हाथियों के आवास लेमरू प्रोजेक्ट अंतर्गत है। वर्ष 2022 में छत्तीसगढ़ विधानसभा में सर्वसम्मति से इस क्षेत्र में नए खदान के सभी आदेशों को निरस्त करने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा गया था, जिसपर भाजपा विधायकों के भी हस्ताक्षर थे। लेकिन सत्ता बदलते ही कारपोरेट हितों के संरक्षण में क्षेत्र के लोगों की भावनाओं के विपरीत प्रदेश सरकार ने नई खदान खोलने के प्रयास प्रारंभ कर दिए गए हैं।