यूपी एसटीएफ की मेरठ यूनिट को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. एसटीएफ मेरठ ने दो लाख के इनामी बदमाश हरीश को मेरठ से गिरफ्तार किया है. हरीश पर मुजफ्फरनगर और शामली में 30 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं, जिसमें हत्या, गैंगस्टर और गुंडा एक्ट भी शामिल है. हरीश फरारी के दौरान 12 साल से आटा बेचने का काम कर रहा था.
नाबालिग उम्र से ही हरीश ने लड़ाईृ-झगड़े देखे, परिवार के लोगों का आए दिन किसी न किसी कारण विवाद होता था, जिसके चलते हरीश के सगे भाई का एसटीएफ ने एनकाउंटर कर दिया था. परिवार के सभी सदस्य की मौत हो चुकी थी. अकेला बचा हरीश भी अपराध की दुनिया में कूद पड़ा. लंबे समय से अपराध जगत में सक्रिय रहा कुख्यात बदमाश हरीश 12 साल बाद गिरफ्तार हुआ है. उसको गिरफ्तार भी एसटीएफ ने ही किया है.
हत्या, लूट और रंगदारी के मामले दर्ज
लगभग 45 वर्षीय हरीश पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 2004 से लेकर अब तक कई बड़ी घटनाओं में शामिल रहा है. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, हरीश पर हत्या, लूट, रंगदारी, गुंडा एक्ट और गैंगवार से जुड़े कई संगीन मामले दर्ज हैं. हरीश का आपराधिक इतिहास खून से लथपथ रहा है. वर्ष 1992 में जमीन विवाद के चलते इंद्रपाल सिंह की हत्या से इसके आपराधिक करियर की शुरुआत हुई. इसके बाद 1994 में ट्रक चालक को भी मौत के घाट उतार दिया गया. हरीश और उसके परिवार ने गांव के कई लोगों से जानलेवा रंजिश पाल रखी थी, जिसके चलते लगातार हत्याएं होती रहीं. हरीश ने बाद में अपने बच्चों को बुलंदशहर के एक घर में रखा था.
2012 से फरार चल रहा था हरीश
पुलिस डोजियर के अनुसार, हरीश और उसके भाइयों ने 2004 में अपने चचेरे भाइयों की हत्या कर दी थी. 2006 में इसी रंजिश को आगे बढ़ाते हुए उसने अपने विरोधियों के घरों पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं, जिससे गांव में दहशत फैल गई. 2007 में हरीश और उसके साथियों ने ग्राम प्रधान की हत्या कर दी. वहीं, 2009 में उसने अपने भाई के साथ मिलकर बस चालक सुरेंद्र की गोली मारकर हत्या कर दी. इसके अलावा 2010 में उसने राहुल उर्फ रिंकू नामक युवक को भी मौत के घाट उतार दिया था, जिसके बाद 2010 में हरीश को जेल हो गई थी. लगभग 2 साल बाद हरीश 2012 में जमानत पर बाहर आया, तब से गैंग बनाकर कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दे रहा था.
हरीश का आतंक इतना ज्यादा था कि वह आए दिन जमीन कब्जाने, रंगदारी वसूलने और विरोधियों की हत्या की वारदातों को अंजाम देता रहा. 2012 के बाद उसने अपने गैंग के साथ मिलकर सुपारी किलिंग का धंधा भी शुरू कर दिया. तभी से हरीश फरार चल रहा था. पुलिस और कई एजेंसी पिछले 12 साल से हरीश को ढूंढ रही थीं.
मेरठ आते ही एसटीएफ ने दबोचा
हरीश कुछ साल अपने बच्चों के साथ बुलंदशहर में रहा, जिसके बाद वो पंजाब चला गया और परचून की दुकान पर काम करने लगा. फिर हरीश ने 15,000 की नौकरी शुरू कर दी. एसटीएफ मेरठ को सूचना मिली थी कि अपराधी हरीश मेरठ आया हुआ है, जिसके बाद घेराबंदी कर एसटीएफ ने हरीश को गिरफ्तार कर लिया.