इटावा : चंबल नदी ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है. खतरे के निशान 120.80 मीटर को पार करते हुए चंबल का जलस्तर बुधवार को 124.32 मीटर तक पहुंच गया. मध्य प्रदेश में हुई भारी बारिश के बाद कोटा बैराज से करीब तीन लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जिससे चंबल, यमुना और क्वारी नदियों में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है.क्वारी नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान से करीब चार मीटर ऊपर पहुंच गया है. बाढ़ के पानी ने चकरनगर तहसील क्षेत्र के एक दर्जन से अधिक गांवों को चपेट में ले लिया है। करीब 42 गांव बाढ़ के खतरे में हैं. पाडरी मार्ग पूरी तरह से जलमग्न हो गया है, जहां पांच फीट तक पानी भरा है और दोनों ओर गहरी खाई होने के कारण लोग जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं. इससे भिंड और ऊमरी जाने के लिए लोगों को 50 किलोमीटर लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है.
कोटरा, बिरौना बाग और गुरभेली गांवों के मुख्य मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध हो चुके हैं. कई गांवों में ग्रामीण दो दिन से कैद जैसे हालात में हैं. चंबल नदी के बाढ़ के पानी ने ऐतिहासिक सिद्धनाथ और भारेश्वर महादेव मंदिरों का संपर्क भी काट दिया है, जिससे सैकड़ों श्रद्धालुओं को बिना दर्शन किए लौटना पड़ा.श्रद्धालुओं द्वारा सेंचुरी विभाग की मोटर बोट बुलाने का प्रयास किया गया, लेकिन वह चालू नहीं हो सकी। वहीं, यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर से हरौली, बहादुरपुर, नीमाडाड़ा, निभी, कांयछी, खीरीटी, ककरैया और गोहानी गांवों के रास्ते भी जलमग्न हो चुके हैं.
एसडीएम ब्रह्मानंद कठेरिया और तहसीलदार विष्णु दत्त मिश्र ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा किया. एसडीएम ने खिरीटी गांव में ट्रैक्टर से प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया और ग्रामीणों को आश्वस्त करते हुए कहा कि प्रशासन पूरी तरह उनके साथ है.