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उपेंद्रनाथ सिंह गुड्डू को जिला बदर: राजनीतिक साजिश या प्रशासनिक कार्रवाई? जनता ने किया विरोध

 

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चंदौली : सकलडीहा विधानसभा से बसपा के पूर्व विधायक प्रत्याशी और जनपद के प्रभावशाली नेता उपेंद्रनाथ गुड्डू को जिला प्रशासन ने अगले छह महीने के लिए जिला बदर घोषित कर दिया है। इस फैसले के बाद क्षेत्रीय जनता में आक्रोश व्याप्त है। लोगों ने प्रशासन के इस निर्णय को राजनीति से प्रेरित और पक्षपातपूर्ण करार दिया है.

उपेंद्रनाथ गुड्डू के समर्थन में सकलडीहा विधानसभा के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया इस दौरान क्षेत्रीय जनता ने जिला प्रशासन के फैसले को गलत बताते हुए इसे राजनीतिक साजिश करार दिया.

मुहम्मद तस्लीम, एक स्थानीय निवासी, ने कहा, उपेंद्रनाथ गुड्डू एक जननायक हैं. वे हमेशा गरीबों, मजलूमों और जरूरतमंदों के लिए खड़े रहे हैं. उनकी बढ़ती लोकप्रियता से घबराकर उनके खिलाफ राजनीतिक द्वेष के चलते यह कार्रवाई करवाई गई है.

वैसे जिला बदर की कार्रवाई आमतौर पर उन लोगों के खिलाफ की जाती है जो किसी क्षेत्र में आपराधिक गतिविधियों में शामिल हों या लोक व्यवस्था को खतरा पैदा करते हों.

उपेंद्रनाथ गुड्डू मूल रूप से चहनिया क्षेत्र के समुदपुर गांव के निवासी हैं। वे पहले जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं, जबकि उनकी पत्नी चहनिया ब्लॉक की ब्लॉक प्रमुख रह चुकी हैं. 2017 में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर सकलडीहा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें 54,000 से अधिक वोट मिले थे.

स्थानीय लोगों का कहना है कि उपेंद्रनाथ गुड्डू गरीबों और आम लोगों के दिलों में बसे हुए हैं. उनकी लोकप्रियता को देख उनके विरोधी घबरा गए है और उनकी छवि धूमिल करना चाहते हैं.

वही जिला प्रशासन का कहना है कि यह निर्णय पुलिस रिपोर्ट और उनके खिलाफ दर्ज मामलों के आधार पर लिया गया है। उपेंद्रनाथ गुड्डू पर विभिन्न धाराओं में कई मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें 2001 और 2005 सहित अपराध संख्या 91/2024 के गंभीर आपराधिक मामले शामिल हैं.

सकलडीहा, चहनिया और अन्य क्षेत्रों में बड़ी संख्या में समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर इस कार्रवाई का विरोध किया. और इसे राजनीतिक षड्यंत्र बताते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन से फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग की। समर्थकों का मानना है कि उपेंद्रनाथ गुड्डू के खिलाफ कार्रवाई उनके राजनीतिक करियर को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है. “प्रशासन उन्हें जिले से बाहर तो कर सकता है, लेकिन जनता के दिलों से नहीं,”यह बयान विरोध प्रदर्शन के दौरान बार-बार गूंजा.

पेंद्रनाथ गुड्डू के जिला बदर होने का मामला अब केवल प्रशासनिक कार्रवाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय राजनीति का महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। आने वाले दिनों में यह विरोध और तेज हो सकता है.

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