केंद्र सरकार ने बुधवार को पहली बार संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को पंजीकरण के समय तथा परीक्षाओं और भर्ती के विभिन्न चरणों के दौरान स्वैच्छिक आधार पर अभ्यर्थियों की पहचान सत्यापित करने के लिए आधार-आधारित प्रमाणीकरण की अनुमति दे दी है.
यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आयोग ने पिछले महीने प्रोबेशनरी IAS अधिकारी पूजा खेडकर की अनंतिम उम्मीदवारी रद्द कर दी थी. आयोग ने योग्यता से इतर, सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी से प्रयास करने की वजह से खेडकर के भविष्य की सभी परीक्षाओं में शामिल होने पर रोक लगा दी थी. सरकार का यह कदम पूजा खेडकर के मामले से ही जोड़कर देखा जा रहा है.
खेडकर पर अन्य लोगों के अलावा दिव्यांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग या ओबीसी (गैर-क्रीमी लेयर) कोटा का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया गया है. कार्मिक मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि यूपीएससी को ‘वन टाइम रजिस्ट्रेशन’ पोर्टल पर पंजीकरण के समय और परीक्षा/भर्ती परीक्षा के विभिन्न चरणों में अभ्यर्थियों की पहचान के सत्यापन के लिए स्वैच्छिक आधार पर आधार प्रमाणीकरण करने की अनुमति है, जिसके लिए हां/नहीं या/और ई-केवाईसी प्रमाणीकरण सुविधा का उपयोग किया जाएगा.’
अधिसूचना में कहा गया है कि आयोग आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 के तहत बनाए गए नियमों और विनियमों और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा जारी निर्देशों के सभी प्रावधानों का पालन करेगा. आधार यूआईडीएआई द्वारा सभी पात्र नागरिकों को बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय डेटा के आधार पर जारी किया जाने वाला 12 अंकों का नंबर है.
After the Puja Khedkar row, govt authorises UPSC to conduct aadhaar authentication for verification of candidates’s identity for recruitment exams pic.twitter.com/WvKK8dQXXk
— UPSC Network (@upscnetwork4) August 28, 2024
UPSC ने जुलाई में खेडकर के खिलाफ कई कार्रवाई की थी, जिसमें फर्जी पहचान के जरिए सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने के लिए उनके खिलाफ जालसाजी का मामला दर्ज करना भी शामिल था. इसके बाद, दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज किया और अपनी जांच शुरू की.खेडकर को अनंतिम रूप से भारतीय प्रशासनिक सेवा (2023 बैच, महाराष्ट्र कैडर) आवंटित किया गया था. उन पर पुणे में अपने प्रशिक्षण के दौरान अधिकारों और विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था.
जून में, यूपीएससी ने अपनी परीक्षाओं में धोखाधड़ी रोकने और परीक्षा शुचिता सुनिश्चित करने के लिए एडवांस्ड टेक्नोलॉजी को अपनाने का फैसला किया था. इस फैसले के बाद मेन्स के एग्जाम में छात्रों को चीटिंग करने से रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा.